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________________ क्रियापद . 383 मात्र अवशिष्टं रहा। यह प्रायः सामान्य वर्तमान काल में ही प्रयुक्त होता है। आचार्य हेमचन्द्र ने आज्ञार्थ लोट् लकार म० पु० ए० व० हि के स्थान पर इ, उ, एवं ए का विधान किया है। अन्य प्रत्यय विधानों के बारे में मौन हैं। निष्कर्ष यह कि शेष प्रत्यय अपभ्रंश वर्तमान काल की भाँति होते हैं : एकवचन बहुवचन पुरुष उत्तम० हुँ मध्यम० (हि) इ, उ, ए अन्य० एकवचन बहुवचन उत्तम० 1. करउँ, करमु, करिमो करहुँ, करमु, करिमो मध्यम० 2. करहि, करिहि, करि, , करहु, करहो, करह कर, करु, करह, करे अन्य० 3. करु, करन्तु, करहुं व्यंजनान्त के आगे संयोजक अ लगाकर प्रत्यय लगाया जाता है। प्रत्यय . मध्यम पु० ए० व० इ - रूप अच्छि, चरि, जंपि, खेइ, फुट्टि, मेल्लि, रुणझुणि, रोइ, संचि, सुमरि। करे करु, गज्जु, देक्खु, पेक्खु, विलंबु पेच्छ, भण अ - ल
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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