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________________ अव्यय 341 (7) सत्त, सत्ता (< सप्त) अट्ठ, अट्ठा, अट्ठह, अट्ठए, अट्ठाइँ, अट्ठाइ, 'अठ' समास में (अठक्खरा, अठग्गल, अठतालिस, अठाइस) (< अष्ट-अष्टौ)। णव (< नव)। इन सभों का रूप न० भा० आ० के समान सरल है। इस प्रकार अप० सत्त > मरा०, गुज०, हि०, बंगा०-सात, पंजाबी-सत्त। अप० अट्ठ > मरा०, गुज०, हि०, ओरिया-आठ, बंगाली-आट, पंजाबी-अट्ठ और अप० णव > मरा०, गुज०, हि०, नेपा० नौ। इन रूपों का पूरक है - सत्तत्थ (सप्तास्त) चउरत्थ (चतुरस्त)। (8) साहित्यिक अपभ्रंश में दो रूप पाये जाते हैं-दस और दह < दश (पैशाची में केवल दस मिलता है)। पूर्वी अपभ्रंश में दह रूप पाया जाता है। हेमचन्द्र ने 8/4/331 के दोहे दह (दहमुहु) का प्रयोग किया है। पूर्वी प्राकृत में दशन् का प्रयोग होता है। न० भा० आ० में दोनों दह और दस का प्रयोग होता है। गुज०, हि०, दस, मरा०, पंजाबी दहा, सिंधी-दह । अपभ्रंश साहित्य में स्पष्ट रूप से दस और दह का प्रयोग होता है। (9) 11-एआरह, एआरहि, एआरहहि, एगारह, एग्गारह, एग्गाराहा, एगारहि, एग्गारहहि, इग्गारह, गारह, गारहाइँ, इसका न० भा० आ० का रूप है-मरा० अकरा, गु०-अग्यार, हि० एगारह, ने० एघार । ___(10) 12-बारह, बारहा, बाराहा, बारहहि, बारहाइ (< द्वादश) पा०, प्रा० बारस-अप० बारह, हि० बारह)। (11) 13-तेरह (त्रयोदश) अ० मा० तेरस, हि० तेरह, ने० तेर, गुज०-तेर। (12) 14-चउदह, चाउद्दह, चउद्दही, चाउद्दाहा, चोद्दह, चोदह, जै० महाराष्ट्री में चोद्दस तथा चउदस रूप भी मिलता है। चारिदहा तथा दह चारि रूप भी मिलता है। सं० चतुर्दश। (13) 15- जै० महा० पण्णरस, अप० पण्णरह, पण्णाराहा, अप० में दहपञ्च और दहपञ्चाई रूप भी मिलता है । (< पंचदश) न०
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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