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________________ हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि बहुतर पुस्तक प्रामाण्यात् के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं। प्रत्येक समय मतभेद उपस्थित होने पर हेमचन्द्र दूसरों द्वारा प्रदत्त अर्थों या शब्दरूपों का निर्देश करने में नहीं चूकते। 178 इसी प्रकार के और भी शब्द हैं जो संस्कृत से लिए गए हैं। वे उनकी विशेषता बताते हैं । वे हैं चोरः, सूकरः, गवाक्षः, उदकम्, ऋतुमती और भ्रू शब्द आदि । देशी नाममाला के बहुत से शब्द इसी प्रकार के हैं किन्तु कुछ शब्द ऐसे भी हैं जो आर्येतर हैं। उनका संस्कृत के अलावा और सभी शब्दों के साथ घनिष्ठ संबंध है। उनमें से बहुत से शब्द द्रविड़ शब्दों से संबंधित हैं, उदाहरणार्थ-उरो-टाउन के अर्थ में, चिक्का=छेरे के अर्थ में, तमिल शब्द छाणी (काउ डंग) = गोबर, पुल्ली - दे० टाइगर के लिये, भावो = तेलगु बहनोई के अर्थ में, मम्मी = तमिल चाची के लिये, आदि बहुत से शब्द बताए जा सकते हैं। श्री के० अमृतराव ने सप्रमाण सिद्ध किया है कि देशी नाममाला में बहुत से फारसी और अरबी के शब्द हैं। 23 सर जार्ज ग्रियर्सन ने भी अरबी शब्दों की ओर संकेत किया है। 24 इस प्रकार हेमचन्द्र ने देशी शब्दों के अंतर्गत न केवल संस्कृत शब्दों को ही रखा है अपितु संस्कृत से भिन्न भारतीय और विदेशी शब्दों का भी संनिवेश किया है । अगर हेमचन्द्र प्रा० लट्टी और हेट्टं शब्दों को संस्कृत यष्टिः और अघः से लिया हुआ मानते हैं तो हम यह नहीं समझ पाते कि वे सभी देश्य शब्दों को संस्कृत शब्दों से उत्पन्न क्यों नहीं मानते, किन्तु सर्वत्र ऐसी बात नहीं हैं । अतः अगर हम ऐसे शब्दों को छोड़ भी दें तो भी उनमें से बहुत से शब्द संस्कृत स्रोतों से व्युत्पन्न नहीं दिखाई पड़ते । देशी शब्दों पर विचार करते हुए डॉ० ग्रियर्सन ने कहा है कि प्राकृत के लिये स्वीकृत तद्भव शब्द ही देशी शब्द कहलाएगा या भारतीय वैयाकरणों द्वारा प्रयुक्त स्थानीय शब्द भी देशी कहा जायेगा । इस तरह वे सभी शब्द देशी के अंतर्गत लिए जायँगे जिनका वैयाकरण लोग संस्कृत से संबंध जोड़ने में प्रायः असमर्थ से रहे हैं। यद्यपि कुछ आधुनिक विद्वानों ने तद्भव शब्दों के समान देशी शब्दों को भी संस्कृत से व्युत्पन्न माना है तथापि यह बात पूर्णतया सत्य नहीं प्रतीत होती ।
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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