SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ है जिनमें भारतीय आर्यभाषा, प्राकृत, अपभ्रंश भाषा, अपभ्रंश और देशी, प्राकृत वैयाकरण और अपभ्रंश व्याकरण, व्याकरण प्रस्तुत करने की विधि, ध्वनि विचार, रूप विचार, अव्यय, रचनात्मक प्रत्यय, क्रियापद, धातुसाधित संज्ञा एवं वाक्य रचना पर गम्भीर विवेचन किया गया है। पुस्तक के अन्त में उपसंहार है जिसमें विवेच्य विषय को उपसंहृत किया गया है। परिशिष्ट में हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों में उद्धृत दोहों में आये हुये शब्दों का शब्द कोश भी दिया गया है। पुस्तक के प्रकाशन में अनेक उतार चढ़ाव आये। यद्यपि इसकी हस्तलिखित प्रतिलिपि मुझे परम पूज्य शास्त्री जी ने 1991 ई० में ही दे दी थी तथा इसका प्रकाशन भी उसी समय आरम्भ हो गया था यहाँ तक कि लगभग 250 पृष्ठ छप चुके थे किन्तु अचानक लैटरप्रेस के बन्द हो जाने से इस कार्य में व्यवधान उत्पन्न हो गया। पुनः इसकी कम्पोजिंग कम्प्यूटर से करवानी पड़ी। इसके साथ ही प्रूफ रीडिंग आदि कार्य भी दुबारा करना पड़ा। इस प्रकार इसे पुस्तकाकार रूप प्रदान करने में लगभग आठ वर्ष लग गये। जो भी हो आज इसे इस रूप में देखकर मुझे अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है जिन्हें शब्दों से अभिव्यक्त कर पाने में असमर्थ हूँ। ___ आभार प्रदर्शित करना यद्यपि मात्र औपचारिकता ही है तथापि पूज्य एवं सहृदय जनों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन करना परम कर्तव्य मानना चाहिये । सर्वप्रथम मैं अपने स्वर्गीय पिताश्री परम पूज्य डॉ० रघुनाथ पाण्डेय के प्रति नतमस्तक होना अपना परम पावन कर्तव्य समझता हूँ जिनके आशीर्वाद से ही मेरी रूचि साहित्य, कला एवं अध्यात्म के प्रति बचपन से रही। प्रस्तुत पुस्तक के मूल लेखक एवं मेरे श्वसुर अतः पिताश्री डॉ० परममित्र शास्त्री के प्रति तो मैं अपनी कृतज्ञता को भी अभिव्यक्त करने में असमर्थ हूँ। इन्होंने अपनी मूल्यवान कृति का संपादन कार्य मुझ जैसे व्यक्ति को दिया यही उनका मेरे प्रति आशीर्वाद है जिसे मैं जन्म जन्मान्तर तक विस्मृत नहीं कर सकता। संस्कृत साहित्य के लोकविश्रुत विद्वान् गुरुवर स्वर्गीय प्रो० व्रजमोहन चतुर्वेदी (संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) के प्रति विशेष रूप से विनत हूँ, जिनका साहित्यिक चिन्तन आरम्भ से
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy