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________________ ( ४५३ ) महा प्रजापति गौतमी को दीक्षा देने के बाद बुद्ध ने आनन्द से कहा था- आनन्द ! मेरा यह धर्म हजार वर्ष चलता सो अब पांच सौ वर्ष तक चलेगा । हमारी समझ में बुद्ध की उक्त भविष्य वाणी सर्वथा सत्य हुई । बुद्ध के निर्वाण की षष्ठ शताब्दी से ही. बुद्ध का मूल धर्म तिरोहित हो चुका था । भले ही आज बौद्धधर्मी पच्चीस करोड़ की संख्या में माने जाते हों, परन्तु बुद्ध के मौलिक धर्म को पालने वाले कितने बौद्ध हैं, इसका पृथक्करण करने पर संसार की आंखें चकरा जायेंगी और बौद्ध धर्म के प्रचार द्वारा भारत में मांस मत्स्य भक्षण का प्रचार करने वालों की बुद्धि ठिकाने आ जायेगी । धर्म वस्तु धार्मिक ग्रन्थोक्त शब्दों के पढ़ने सुनाने में नहीं हैं, किन्तु उनका रहस्य अपने जीवन में उतारने और उसके अनुसार जीवन का पलटा करने में है । शाक्यभिक्षु बौद्ध भिक्षु का हमें जातीय परिचय नहीं है, क्योंकि इस देश में इनका अस्तित्व नहीं और भारत के बनारस आदि दूरवर्ती स्थानों में आगन्तुक बौद्ध भिक्षु होंगे तब भी उस प्रदेश में न जाने के कारण हमारा उनसे कोई सम्पर्क नहीं हुआ अतः बौद्ध भिक्षु के सम्बन्ध में हम जो कुछ लिखेंगे, उनके ग्रन्थों के आधार से ही लिखेंगे ।
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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