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________________ & FIN BAIK R5 TTS TIF DEUT (( ३४४६) पुलिस प्रकार प्रतिद्वाहीसौराष्ट्र-कोप्रमाने वानसहित होस SHRE की बानामनिश करने हैं, और जिसके यहां राष्ट्र को बनाते भूला विद्वान पुरोहित झेता है उसके प्रजाजन एक मन के होकर राजा की प्रज्ञा उठाते हैं। IPORNपुरोहित नहाहासहजकिदव नहीं खाते है इस कथन की प्रचल्टिमा किया जा सकता हक बतिप्राणी अपने विधि लिया। परन्तु वस्तुस्थिति ऐसी नहाराणाको संजाकारहोकर उसे घामा बनाथ रखना हमार पशुपाहीया कामासास तथा भय भार से पीना यदि जन्मुिशहितको अपना हिंसाचन्तक और पारलीपिका मार्गदर्शक मान तानको वित्तिया एक और खानपणाप्रमोदितम्हा जीत निरिपरिणाम यह होता क्षत्रिय आति संघ नामीवालालतोपरन्तु वाम जामणों ने ऐसा होने नहीं दियाँ, वानरयक हिंसा कबुर परिणाम को उन्हें सुनाया करते थे, और प्रायश्चित कर पाप-प्रवृत्तियों से निशते सRE IF any EFFERTIEF यहां हम निरर्थक हिंसा करने वाली या अभिधमला औराम्पोयानाकरनेवालोमोहिमागासले प्रायशिकतोंडकी संक्षिप्त दिग्दर्शनमाकेद्वारको पूमा कायेंगे LP FH कसिष्ठ धर्मशास्त्रोक्त हिंसाप्रायश्चित्तानि iगदहल्याब स्यालयमा रहिवेछिक अपमासान् इन्छ तलमातिडकीgiEITTEFTEYF ES FIF FREET
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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