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________________ । २७६ ) ४-स्थविर ___ स्थविर का कर्तव्य गणस्थित श्रमणों के आपसी मतभेदों तथा झगड़ों तकरारों और अपराधों की जांच करना और उचित न्याय देना होता था। छेद सूत्रों के ज्ञाता और माध्यस्थ्य परिणामी होते, वे ही स्थविर-पद पर नियुक्त किये जाते थे। ५-गणी गणी आचार्य तथा उपाध्याय के आगे उनके मंत्री का काम करता था। यही कारण है कि सूत्रों में कहीं आचार्य के अर्थ में और कहीं उपाध्याय के अर्थ में गणी शब्द प्रयुक्त हुआ है। ६-गणधर — कुल के प्रतिनिधि को गणधर कहते थे । कुलों के पारस्परिक मत-भेद गणधर के पास आते और वह उन्हें गण स्थविर के पास उपस्थित करता। ७-गणावच्छेदक गणावच्छेदक का कार्य गण के साधुओं को कम से कम अथवा अधिक संख्यक टुकड़ियों में बांट कर बिहार कराना या बिहार करते हुए को प्राचार्य के पास बुलाना, इत्यादि कार्य गणावच्छेदक के सुपुर्द होते थे। श्रमणी समुदाय की व्यवस्था का कार्य प्रायः आचार्य उपाध्याय की सूचनानुसार गणाच्छेदक द्वारा होता था.। श्रमणी गण की प्रमुख साध्वी को प्रतिनी
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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