SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १०१ ) ऊपर के विवरण से ज्ञात होगा कि धार्मिक हिंसा बौद्ध और जैनों के उपदेश से नहीं, परन्तु उसके साथ प्रजा के मनोभाव का बदलना और यजमानों का घटना यह भी याज्ञिक हिंसा का ह्रास करने में मुख्य कारण था । इन सब कारणों से आज वैदिक यज्ञ और पितृयज्ञ पशुबलि से मुक्त हैं। इतना ही नहीं किन्तु मधुपर्क पद्धति भी आज आमूल चूल परिवर्तित हो चुकी है, “मांस बिना अर्ध्य नहीं हो सकता" बौधायन के इस सिद्धांत को मानने वाला आज कोई भी ब्राह्मण दृष्टिगोचर नहीं होता । गोमांस भक्षण का निराधार आरोप अध्यापक धर्मानन्द कौशाम्बी का यह मत है कि बौद्ध और जैनों के विरोधी प्रचार ने बडी मुश्किल से ब्राह्मणों में से गौ-बैल का मांस खाने का रिवाज बन्द करवाया । हमारी राय में कौशाम्बी जी का यह मत प्रामाणिक नहीं है । शतपथ ब्राह्मण में याज्ञवल्क्य के गोमांस भक्षण का स्वीकार करने का अर्थ यह नहीं हो सकता कि उस समय सारा ब्राह्मण समाज गौ-मांस खाता था । देवताओं ने जब गो-मेध किया और गौ श्रमेध्य होगया. उसके बाद याज्ञवल्क्य के सिवाय न किसी ब्राह्मण ने गौ का यज्ञ में बलिदान किया, न गौ-मांस ही खाया, गाय और बैल सर्व साधारण के लिए विशेष उपयोगी प्रतीत होने लने, तब देवताओं ने याज्ञवल्क्य से कहाः- गाय, बैल अनेक प्रकार से संसार के उपयोगी प्राणी हैं, हमने इनमें सभी प्राणियों की शक्ति रखदी है, अतः गाय बैल को न
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy