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________________ 2. पुत्र [6] [A] पूटती विगतो :નિ. નામ મૂળશબ્દ વિભક્તિ લિંગ | નામ એકવચન દ્વિવચન બહુવચન 1./ 43 | बाल इंटिसंग ता | बालः बालौ | बालाः ८ पुंल्लिंग संबोधन | पुत्र ! | पुत्रौ ! | पुत्राः ! 3./सवोत्तम श्रेष्ठ ६ विशेष| संबंध | श्रेष्ठस्य | श्रेष्ठयोः । श्रेष्ठानाम् सदृश विशेष माहान | सदृशात् | सदृशाभ्याम् | सदृशेभ्यः 5./11 | कीटक | 3 3 cिen| २९५ | कीटकेन कीटकाभ्याम्| कीटकैः 6./ 0 २ विशेष भ | काणम् | काणौ | काणान् ४ टिसंग संग्रहान | मूर्खाय | मूर्खाभ्याम् | मूर्खेभ्यः કમળ | पङ्कज ७ पुंलि अघि४२९५ पङ्कजे | पङ्कजयोः | पङ्कजेषु |9./ 5५९ लिंग संबंध | पटस्य | पटयोः । पटानाम् સરખ काण મૂર્ખ । मूर्ख | पट [B] નં. શબ્દ સાદો વિભ લિંગ વિભક્તિનું એકવચન | અર્થ ગુક્તિ નામ દ્વિવચન બહુવચન . . वेणा वेणे वेणाः mwa waman हर्येषु 1. वेणा | ॥ સ્ત્રીલિંગ | કર્તા पाणि હાથ પુલિંગ संबोधन पाणे! | पाणी! | पाणयः! 3. पाठशाला 4180/६ | स्त्रीलिंग संबंध पाठशालायाः| पाठशालयोः | पाठशालानाम् 4. समराङ्गण | युद्धभूमि| ४ | पुंटिसंग | संघहान | समराङ्गणाय समराङ्गणाभ्याम् | समराङ्गणेभ्यः मूक | yy | ५ | विशेष पाहान मूकात् मूकाभ्याम् | मूकेभ्यः 6. रथ्या । સ્ત્રીલિંગ | કરણ रथ्यया रथ्याभ्याम् रथ्याभिः 7. हर्म्य वेदी | ७ नपुंसलिंग मधि४२५ हर्म्य हम्यर्योः 8. लाङ्गूल | J७४ | २ नपुंसलिंग धर्म | लाङ्गुलम् लाङ्लानि 9. वैयात्य | पृष्टता | ६ |नपुंसलिंग संबंध | वैयात्यस्य | वैयात्ययोः । वैयात्यानाम् [8] पायो :1. गुरोरिच्छायाः अन्या इच्छा यस्य शिष्यस्य स शिष्यो न युज्यते । 2. महावीरस्योपदेशो भव्याय रोचते । 3. पुरुषार्थः साफल्यस्य जनको विद्यते । 4. शिष्यः गुरोः सूनुना सदृशोऽस्ति । 5. शिशोः तीर्थः जनकः वर्तते । लाङ्गले स२० संस्कृतम् - 3 • २८ . पाठ-१/१४
SR No.022983
Book TitleSaral Sanskritam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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