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________________ दिया है | अहिंसा की अमोघ शक्ति को लेकर चलो, हिंसा स्वतः ही पराभूत हो जायगी; 'जीओ और जीने दो' के मूलमंत्र को जीवन में अपनाओ, युद्ध समाप्त हो जायेंगे; स्याद्वाद के राजमार्ग पर चलो, विग्रह देखने को भी नहीं मिलेंगे; अपरिग्रह पर आचरण करो, भौतिकता - जन्य क्लेश दूर जायेंगे; प्रेम करो, मानव जाति एक सूत्र में देव जायगी । ८० ढाई हजार वर्ष कहा था, वह आज भी समय था । ये सब रास्ते भगवान महावीर के बताये हुए हैं । इन पर चलकर आज की भटकती दुनिया को निश्चय ही नया प्रकार, नई प्रेरणा और नया होसला मिलेगा | पहले भगवान महावीर ने जो कुछ उतना ही ताजा है, जितना उस - तरस्थी. मैं आशा करता हूं कि 'बीर वचनामृत' के पठन और मनन से सभी वर्गों के पाठक अनुप्राणित होंगे और इस जीवन-निर्माणकारी कृति का सभी क्षेत्रों में रूसागत होगा । ૧૩-ગુજરાતના પત્નપ્રધાન ડૉ. જીવરાજ મહેતા સચિવાલય ६-१५ ता. ३-१०-१२ ભગવાન મહાવીરના સુવચનેાના એક સંગ્રહ “ વીંર્-વચનામૃત ' પ્રકટ થાય છે, તે તૃણી આનંદ થયો. ભારતની સંસ્કૃતિના ઘડવૈયા પ્રાચીન મહાનુભાવામાં ભગવાન મહાવીરનું નામ હંમેશાં પ્રથમ પંક્તિમાં છે. એમણે પ્રખેાધેલા પ્રેમ,
SR No.022916
Book TitleVeer Vachanamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1962
Total Pages550
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size28 MB
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