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________________ યુગપ્રધાન જિનચંદ્રસૂરિ १५. चतुर्थ दादा युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरिरचित स्तवनादि कृति समुच्चयः । १ श्रीशांतिनाथ हिंडोलणा गीत ( राग सारंग मल्हार ) श्रीभरत दखिणमइ, मनोहर नयर वर विस्तार | कुरुदेश हथिणाउर अनोपम, इंद्रपुर अवतार ॥ तिहां विश्वसेन नरिंद पालइ, राज राणिम सार । तसु घरणी अचिरादे दीपइ, अपछरनइ अणिहार ॥ १ ॥ हिंडोलह माइ ! झूलता, संति कुमार, मुझ मन हरख अपार । ( आंकणी ) तसु ऊअरि अणुत्तरथी चवी, प्रभु अवतरे अरिहंत । यदि भाद्रवानी सातमई, वलि जेठ वदि जगकंत ॥ अधरयणि तेरसि तणी, जनस्यउ वरतीयउ सुभसंति । तिणकाज संतिकुमार दीघउ, नाम भलऊ बुधवंत ॥२॥ हिंडोलणइ० । कमनीय कंचन कमल कोमल, सदल सुंदर अंग । बालपणइ अतिरूप निरखी, सुरवधू मनरंग ॥ मणिकनक मंडित पालणइ, हींडोलती हइ चंग । काइ अपछरा आसीस आपइ, जगि तुझ सुजस अभंग ॥ ३ ॥ हिंडोलणइ० । घर अंगणइ प्रभु ठवति पगला, घूघरा घमकंति । गजराज राजमराल मंथर, गतिसुं गुणवंति ॥ धरि गोद अणिमिस नयणि वलि वलि, मातजी निरखंति । चिरि जीवज्यो तुम्हे नान्हडा, तिहां अपछरा एम कहंति ॥४॥ हिंडोलणइ० ।
SR No.022908
Book TitleYugpradhan Jinchandrasuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherPaydhuni Mahavirswami Jain Derasar
Publication Year1962
Total Pages440
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size33 MB
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