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8 घटना छ। एक तपस्वी त्यागमूर्तिना हस्ताक्षरो ए कोई एक व्यक्ति के समाजनुं नहीं पण समग्र प्रजान * राष्ट्रीय धन छे अने ए रीते ज एर्नु जतन थर्बु जोईए। a मुनिवर श्री पुण्यविजयजीनो फाळो
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अहीया मारे सहर्ष कहे, जोईए के उपाध्यायजीनी स्वहस्ताक्षरी प्रतिओ के अन्य साहित्यने मेलववान महद्पुण्य श्रेष्ठ संशोधक, विद्वान मित्र मुनिवर श्रीपुण्यविजयजी महाराजने फाळे जाय , अने हजु त o आपणने घणु घणुं नवं आपवाना ज छ। तेओश्रीने उपाध्यायजी उपर अयाग गुणानगग छ, तयाँ
आ वरसोयी उपाध्यायजीनी ग्रन्थसामग्री आदि अंगे भक्ति अने खंतभर्यो पुरुषार्थ करता आया है।
ते उपरांत उपाध्यायजी रचित ग्रंथोना संशोधन अने प्रकाशनमां पूज्यपाद प्रौढप्रतापी सृग्सिम्राट o आचार्य श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराज साहेव तया तेमना परिवारनो फाळो सहुथी वधु प्रशंसा ने ॐ धन्यवाद मागी ले तेवो छ।
उपाध्यायजीना साहित्य अंगे कंईक
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कोई पण महापुरुषनी साहित्यकृतिओ ए तेमनुं जीवन, तेमनी प्रतिभा, तेमना जीवननां उदार तत्त्वा, बहुश्रुतता अने तत्कालीन परिस्थितिनुं माप काढवानी आदर्श अने सचोट पाराशीशीओ गणाय
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* ज्ञानमूर्ति उपाध्यायजीनो चार चार भाषाओमां रचायेलो विपुल अने समृद्ध ग्रन्थशि जाईए टी'
त्यारे तेओ नवसर्जननी रंगभूमि उपर एक सिद्धहस्त नटराजनी अदाथी न्याय, व्याकरण, साहित्य, O अलंकार, नय, प्रमाण, तर्क, आचार, अध्यात्म, तत्त्वज्ञान, अने योगशास्त्रस्वरूप अंग-भंगोद्वारा जाणे * चित्तहारी नृत्य करी रह्या होय तेवु दृश्य खडं करे छ। आम उपाध्यायजी जुदे जुदे प्रसंगे जूजवे रूपे
देखा दे छ। एक वखते नव्यन्यायनी कलम द्वारा कटोर-कर्कशताथी व्याप्त हृदय जोवा मले छे, ज्यारे बीजी वखते काव्यप्रकाश, अलंकारचूडामणि आदि साहित्यालंकारिक कृतिओनी वृत्तिओ द्वारा मृदु अने सुकुमारताथी परिप्लावित हैयाना पण दर्शन थाय छ; त्यारे कवि भवभूतिनी 'वज्रादपि कटोराणि मृटूर्न कुममादपि' -ए उक्तिनुं स्मरण थई आवे छ।
वैराग्यकल्पलता अने वैराग्यरति जेदी वैराग्यमय रचनाओ द्वारा तेमना हयामां शान्तरसना अ करूणानो गंगा-यमुन! जेवो केवो स्त्रोत वहेतो हशे ते जाणी शकाय छ । ___अष्टमहन्त्री विवरण जओ, अने तमने उपाध्यायजीनी सोळे कलाए खीली उटेली विद्वत्प्रतिभानः तेजामय दर्शन थशे ने मुखमांथी धन्य ! अति धन्य! ना उद्गारो सरी पडशे ! दाशानक शिरोमणि एक श्वेताम्बर साधुए दिगम्वरीय कृति तेमज जनेतर कृति उपर चलावेली प्रौढ कलम, ए तेओश्रीनी हार्दिक विशालता, उदात्त विचारो, सामाना शस्त्र द्वारा ज सामाने जवाब आपवानी अने परकीय ग्रन्थाद्वारा स्वसिद्धान्तोनुं समर्थन करवानी तेमनी लाक्षणिक कुशळतानु अजोड दृष्टांत पूरुं पाडे छ।
तेओश्री विरचित के पल्लवित अध्यात्म अने योग विषयक ग्रन्थो जोईए छीए त्यारे, तेओ एक B888888888888888 [ १७४] 888888888888888888
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