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________________ मण्डल' धूलियागंज, आगरा में कुछ वर्षों से स्थापित है। हिंसा बंदी, समाजसेवा आदि अनेक कार्य उनके द्वारा किये गये हैं। वर्तमान में मंडल द्वारा 15 जैन मंदिरों में स्वदेशी वस्त्र प्रचार किया जा रहा है। ___आगरा के सेठ रतनलाल जैन, बाबू मानिकचंद जैन, नेमीचंद जैन, बाबू गोर्धनदास जैन, बाबू किशनलाल जैन, उत्तमचन्द जैन, श्यामलाल जैन 'सत्यार्थी', प्रताप चन्द जैन, फूलचन्द जैन बरवासिया आदि ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया और जेलों की यात्राएं की। 'जैन संदेश' के राष्ट्रीय अंक में उल्लेख मिलता है कि जैन समाज आगरा ने बड़ी संख्या में जेलों की यात्रायें की। पत्र के अनुसार-बाबू मानिकचंद जैन सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय से ही राष्ट्रीय क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इसमें उन्हें 6 मास की सजा हुई थी। इसी प्रकार नेमीचंद जैन के बारे में उल्लेख मिलता है कि नेमीचन्द जैन बसैया के रहनेवाले हैं। वे 1930 से राष्ट्रीय क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इस आन्दोलन में उन्हें 1 साल की सजा हुई थी। __ आगरा निवासी किशनलाल जैन को 1930 के आन्दोलन में कारावास जाना पड़ा। हार्डी बम केस के भी वे अभियुक्त रहे थे। श्यामलाल जैन 'सत्यार्थी' को इस आन्दोलन में 6 मास की कड़ी सजा हुई थी, जब श्री जैन कारागार में थे, उसी बीच उनकी पत्नी तथा पुत्र स्वर्ग सिधार गये। उनके सामने अनेक बाधायें आयीं, परन्तु वे देशभक्ति से विचलित नहीं हुए। स्व. बाबू साँवलदास की सुपुत्री शरबती देवी ने इस आन्दोलन के तहत कारावास की कठिन सजा पायी। फिरोजाबाद के जैन समाज ने भी आगरा के जैन समाज का अनुकरण करते हुए देश सेवा में अपना योगदान दिया। बाबू सन्तलाल जैन, बसन्तलाल जैन, रामबाबू जैन, नत्थीलाल जैन, हुकुमचन्द जैन, दरबारीलाल जैन, पन्नालाल जैन, रतनलाल जैन (बंसल), निर्मलकुमार जैन, राजकुमार जैन, धनवन्तसिंह जैन, गुलजारीलाल जैन आदि जैन नागरिक स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय रहे। सविनय अवज्ञा आन्दोलन के बाद कौंसिल और असेम्बली में प्रवेश करने का निर्णय कांग्रेस द्वारा लिया गया। आगरा में जैन समाज द्वारा दिये जा रहे निरन्तर योगदान को देखते हुए सेठ अचलसिंह को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित किया। चुनाव के प्रचार हेतु राष्ट्रीय नेताओं का आगमन आगरा में होने लगा, जिससे जनता में अभूतपूर्व उत्साह का संचार हुआ। ‘सैनिक' के एक समाचार के अनुसार -सरदार वल्लभभाई पटेल फिरोजाबाद से लौटकर आगरा पधारे तथा सेठ अचलसिंह के निवास पर ठहरे। शाम को जैन धर्मशाला में उन्होंने शहर के कार्यकर्ताओं से भेंट की और उनसे शहर के चुनाव सम्बन्धी हालत मालूम किये। इसके बाद बेलनगंज से सरदार पटेल के सानिध्य में जुलूस निकाला गया। आगरा म्युचुअल इंश्योरेंस कम्पनी से जुलूस प्रारम्भ हुआ। जुलूस के साथ भारी भीड़ थी। मोतीगंज की सार्वजनिक सभा 96 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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