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________________ लिये गये। वे दुकान से लौट रहे थे कि गिरफ्तार कर जेल खाने की लारी में बैठा लिये गये और तुरन्त जिला जेल पहुँचा दिये गये। सेठ जी की गिरफ्तारी के प्रति विरोध प्रकट करने के लिए पूरी हड़ताल मनायी गयी। पुलिस तथा अधिकारियों का हड़ताल रोकने का प्रयत्न विफल हुआ। हड़ताल की घोषणा करने के सम्बन्ध में 8 स्वयंसेवक गिरफ्तार हुए। गढ़ सेठ अचलसिंह आगरा में हुए प्रत्येक सत्याग्रह आन्दोलन में सक्रिय रहे। इनसे स्थानीय अंग्रेज अधिकारी भी घबराते थे। सेठ जी ने 1932 में सरकार द्वारा लगाये गये जुर्माने को देने से साफ इंकार कर दिया। सरकार द्वारा उनकी कुर्की करायी गयी। तत्कालीन पत्र 'आज' का समाचार था-सेठ अचलसिंह का जुर्माना वसूल करने के लिए पुलिस ने सेठ जी का ताँगा और घोड़ा कुर्क कर लिया है। खबर है कि जेल में सेठ जी का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। इस पर भी देखनेवालों ने उन्हें प्रसन्न देखा। हम स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान आगरा में प्रचार-प्रसार का कार्य महेन्द्र जैन के नेतृत्व में किया गया। महेन्द्र जैन पूरे आगरा में महेन्द्र जी के नाम से प्रसिद्ध थे। सूचना विभाग उ.प्र. लिखता है कि उनके संचालन में आगरा में प्रकाशन विभाग ने बड़ी मुस्तैदी के साथ काम किया। उनके कारण ही सत्याग्रह संग्राम के समाचार 'सैनिक' और अन्य समाचार पत्रों में तो छपते ही थे, आगरा के बाहर के समाचार पत्रों में भी अच्छा स्थान पाते थे। महेन्द्र जी इस आन्दोलन के दौरान 19 फरवरी, 1931 को गिरफ्तार हुए तथा उन्होंने 3 मार्च 1931 को महेन्द्र जैन, आगरा 6 मास कैद तथा 250 रुपये जुर्माने की सजा पायी। अंग्रेजी सरकार की नजरों में सदैव श्री जैन खटकते रहते थे, क्योंकि सरकार को पूरा भरोसा था कि वे आगरा ही नहीं, अपितु पूरे प्रान्त में अंग्रेजी शासन की खिलाफत करने वाले समाचार छापते हैं। 'जैन मित्र' ने इस दौरान लिखा-आगरा में महेन्द्र जी के मकान को 150 पुलिस ने घेरकर तलाशी ली और दो पुस्तकें ले गई। तलाशी साईक्लोस्टाइल के विषय में थी। र र उनकी पत्नी अंगूरीदेवी जैन ने भी इस आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। जैन संदेश के अनुसार-अंगूरी देवी को सन् 1930 के आन्दोलन में 6 मास की कड़ी कैद हुई थी। अंगूरीदेवी जैन के साहसपूर्ण कार्यों का विवरण हमें 'आज' के तत्कालीन अंक से मिलता है। 'आज' के अनुसार 4 मार्च, 1932 को आगरे में गाँधी दिवस मनाया गया। नवीं अधिनेत्री श्रीमती पद्मावती एक महिला के साथ व्याख्यान 94 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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