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________________ मेरठ के सुन्दरलाल जैन ने अपने कार्यों से समस्त मेरठ जनपद को प्रभावित किया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत सुन्दरलाल जैन ने अपने साथियों को एकत्रित करके मेरठ सदर से एक पदयात्रा निकाली, जो हिण्डन तट (वर्तमान गाजियाबाद) पर पहुँचकर समाप्त हुई, वहाँ उन्होंने अपने 11 साथियों के साथ नमक बनाया। यह पदयात्रा मार्ग में आने वाले नागरिकों को सत्याग्रह का संदेश दे रही थी। सूचना विभाग, उ.प्र. के अनुसार, सुन्दरलाल जैन थापरनगर मेरठ ने सन् 1930 में लाल पोस्टर केस के सिलसिले में 1 वर्ष कैद की सजा पायी। उन्हें सन् 1932 में विद्यार्थी षड्यंत्र केस में लगातार 3 वर्ष कैद की सजा दी गयी। श्री जैन जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव और प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे ।" लाल पोस्टर केस एक महत्त्वपूर्ण मुकदमा था, जिसके तहत विद्यार्थियों को ब्रिटिश सरकार ने कड़ी सजा सुनायी। सुन्दरलाल जैन और उनके साथियों ने मेरठ कोतवाली पर एक पोस्टर चिपकाया, जिसमें घोषणा की गई थी कि 'हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी' की स्थापना मेरठ में भी हो गयी हैं यदि ब्रिटिश हुकुमत ने गाँधी जी के निहत्थे सैनिकों पर हमले किये, तो उन्हें कड़ा जवाब दिया जायेगा।" इस पोस्टर में लिखी घोषणा पढ़कर अंग्रेजी पुलिस घबरा गयी और उसने सुन्दरलाल जैन व उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। यही केस 'लाल पोस्टर केस' के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार सुन्दरलाल जैन ने 1932 में भी लम्बी कैद की सजा पायी। मेरठ में आजादी की लड़ाई में जैन समाज का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में योगदान रहा। एक ओर तो जैन वीरों ने जेलों की यात्रायें की दूसरी ओर जैन महिलाओं ने जैन मंदिरों पर धरने देकर खादी वस्त्रों को पहनने पर जोर दिया तथा स्वयं भी विदेशी वस्त्रों (साड़ियों) का त्याग किया। महावीरप्रसाद जैन की पत्नी कमलादेवी जैन ने इस आन्दोलन में खुलकर भाग लिया तथा 3 मार्च 1932 को 2 महीने की सजा पायी। बुलन्दशहर में भी स्वतंत्रता आन्दोलन का बिगुल बज चुका था। 1 अप्रैल 1930 को प्रदेश के गवर्नर के बुलन्दशहर पधारने पर उनका बहिष्कार किया गया। नदी के पुल पर काले झण्डों का प्रदर्शन किया गया, जिस पर पुलिस ने भयंकर लाठीचार्ज किया। रघुबीरशरण जैन पुत्र विशम्भरदयाल जैन ने अपने साथियों के साथ 23 अप्रैल को हरी गोपाल के नेतृत्व में निकलनेवाले नमक सत्याग्रह जत्थे में भाग लिया। इस पहले जत्थे द्वारा बनाया गया नमक तीस रुपये में नीलाम हुआ। इस जत्थे ने सुनहरे ग्राम में भी नमक बनाकर उसे नीलाम किया। सिकन्दराबाद, खुर्जा आदि स्थानों पर भी नमक कानून तोड़ा गया। जैन समाज द्वारा इन आन्दोलनों में सक्रिय योगदान दिया गया। अनूपशहर में चन्द्रसेन जैन सुपुत्र मुरलीधर जैन ने अपने छपाई के कार्य का इस्तेमाल देशभक्ति के पर्चे निःशुल्क 88 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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