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________________ वर्ष कर दी गयी। इसके अतिरिक्त अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों में भी विमल जी का योगदान रहा। सरदार भगत सिंह, सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरू डॉ. गया प्रसाद, चन्द्रशेखर आजाद आदि क्रांतिकारियों को अपने घर पर ठहराने से लेकर सारी व्यवस्थाओं को श्री जैन सुचारू रूप से सँभालते थे। उनके भाई धनकुमार जैन भी स्वतंत्रता आन्दोलन की गतिविधियों में भाग लेने कारण जेल गये । दिल्ली सरकार का गजेटियर विभाग लिखता है कि धनकुमार जैन पुत्र बनारसीदास जैन, विमलप्रसाद जैन (अभियुक्त दिल्ली षड्यंत्र केस ) के भाई हैं। उन्होंने आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया तथा 1934 में गिरफ्तार हुए । इन्होंने लाहौर में प्रबोधचन्द्र और अन्य लैफ्ट नेताओं के साथ भी काम किया । विमल जी के छोटे भाई जुगमन्दरदास जैन भी अपने भाइयों की भाँति ही देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत थे। उन्होंने भी आन्दोलनों में सक्रिय भाग लिया तथा 19 नवम्बर, 1934 को उन्हें जेल भेजा गया। इस प्रकार सिसाना बागपत के छोटे से इलाके के रहनेवाले विमलप्रसाद जैन और उनके समस्त परिवार ने राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की। जिला मेरठ के अंतर्गत प्रत्येक क्षेत्र के नागरिक अपना-अपना सहयोग स्वतंत्रता आन्दोलन में दे रहे थे । मेरठ शहर के जैन समाज ने भी इस आन्दोलन के अंतर्गत शासन द्वारा किये जा रहे कड़े दमन का मुकाबला किया। अतरसेन जैन प्रारम्भ से ही कांग्रेस के प्रमुख कार्यकर्ताओं में गिने जाते थे । उ. प्र. सूचना विभाग के अनुसार अतरसेन जैन ने कांग्रेस के अनेक वार्षिक अधिवेशनों में प्रतिनिधि के तौर पर भाग लिया। सन् 1925 में जाब्ता फौजदारी कानून की धारा 108 में सजा पायी । सन् 1928 में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124 ( अ ) के अंतर्गत 3 मास कड़ी कैद की सजा राजद्रोहात्मक भाषण देने के कारण उन्हें मिली पुनः 21 सितम्बर 1929 को पिछली धारा के अंतर्गत 2 वर्ष कड़ी कैद की सजा श्री जैन को दी गयी । वे 'देशभक्त' पत्र के सम्पादक भी रहे । 7 रघुवीरसिंह जैन ने इस आन्दोलन में सक्रिय होकर कार्य किया तथा अपने साथ जैन समाज के अनेक नवयुवकों को भी राष्ट्रीय आन्दोलन से जोड़ा । उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार उन्होंने सन् 1930-31 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया तथा पिकेटिंग करते हुए हापुड़ में पकड़े गये और 6 मास कैद की सजा पायी। 38 गिरीलाल जैन ने भी इन आन्दोलनों में सक्रियता दिखायी। इस आन्दोलन में वे जेल गये। ‘जैन मित्र' ने लिखा- 'मेरठ शहर के बाबू गिरीलाल जैन मुख्तार पकड़े गये हैं । 39 गिरीलाल जैन ने जैन मंदिरों से विदेशी वस्त्रों को हटवाकर स्वदेशी वस्त्रों का चलन कराने में भी अपना योगदान दिया । सविनय अवज्ञा आन्दोलन और जैन समाज :: 87
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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