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________________ उन्होंने पहले सत्याग्रही के रूप में आचार्य विनोबा भावे को चुना। विनोबा जी की गिरफ्तारी के बाद आन्दोलन तीव्र हो गया और सम्पूर्ण भारत में फैल गया। इस आन्दोलन में भी जैन समाज ने अपनी गिरफ्तारियाँ दी। 8 अगस्त 1942 को गाँधी जी के नेतृत्व में तीसरा और महत्त्वपूर्ण संघर्ष 'भारत छोड़ो' आन्दोलन शुरू हो गया। इस आन्दोलन के लिए महात्मा गाँधी ने 'करो या मरो' का नारा दिया। उत्तर प्रदेश के जैन समाज ने पूर्व की भाँति इस आन्दोलन में भी महत्त्वपूर्ण भाग लिया और बड़ी संख्या में जेल यात्रायें की। इस महत्त्वपूर्ण आन्दोलन के परिणाम स्वरूप ही आगे चलकर 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ। __ भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में जैन पत्र-पत्रिकाओं ने भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। इन जैन पत्र-पत्रिकाओं में जैन गजट, जैन मित्र, जैन संदेश, वीर, दिगम्बर जैन, अनेकान्त, वीर सन्देश, श्वेताम्बर जैन, जैन प्रदीप, जैन दर्शन, आदि प्रमुख हैं। जैन पत्रों ने देश में राष्ट्रीय एकता की भावना का प्रचार, स्वतन्त्रता की भावना जागृत करना, अतीत का गौरव गान एवं राष्ट्र नेताओं का स्मरण, स्वदेशी भावना का प्रचार, गाँधी जी एवं उनके आन्दोलन को रचनात्मक समर्थन और विश्व में शांति की स्थापना हेतु कार्य किया। __ जैन समाज के देशभक्त लेखकों ने भी अपनी लेखनी के माध्यम से स्वतन्त्रता आन्दोलन में भागीदारी की। इन लेखकों में ऋषभचरण जैन की कई कृतियों को अंग्रेजी सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया। परतन्त्र काल में जैनेन्द्र कुमार, यशपाल जैन, अक्षयकुमार जैन, शांतिस्वरूप जैन 'कुसुम' आदि की रचनाओं ने देशवासियों में स्वतन्त्रता प्राप्ति की भावना जाग्रत करने हेतु महत्त्वपूर्ण कार्य किया। जैन समाज ने तत्कालीन सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में भी अपना योगदान दिया। आजाद हिन्द फौज में भी जैन समाज ने भाग लिया। जैन सन्त गणेशप्रसाद वर्णी ने आजाद हिन्द फौज की सहायतार्थ अपनी चादर को समर्पित कर दिया। कई जैन नागरिकों ने गुप्त रूप से भी देशभक्तों की सहायता की। इस प्रकार भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तर प्रदेश जैन समाज ने प्रत्येक कदम पर देश का साथ दिया। प्रस्तुत विषय पर मैंने सन् 2007 में शोध कार्य प्रारंभ किया था। चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से 'भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तर प्रदेश के जैन समाज का योगदान (वर्ष 1919 ई0 से 1947 ई0 तक)' की शोध रूपरेखा स्वीकृत होने के बाद मैंने इस विषय से संबंधित प्रमाणिक सामग्री जुटानी प्रारम्भ कर दी। इस हेतु मैंने उत्तर प्रदेश सरकार के जनसम्पर्क एवं सूचना विभाग, लखनऊ से उन जैन स्वतंत्रता सेनानियों के विषय में जानकारी एकत्रित की जिनका उल्लेख सरकारी दस्तावेजों में किया गया है। उत्तर प्रदेश के दो दर्जन से भी अधिक जनपदों में घूमकर आत्मकथ्य:: 15
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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