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________________ सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। देश के आर्थिक विकास में साहू जैन परिवार के सदस्य साहू शांतिप्रसाद जैन तथा साहू श्रेयांसप्रसाद जैन का प्रमुख योगदान रहा। सेठ अचलसिंह जैन, सेठ छेदीलाल जैन, सेठ प्रकाशचन्द जैन आदि ने भी संयुक्त प्रान्त के आर्थिक विकास में अपना योगदान दिया । सामाजिक क्षेत्र में उत्तर प्रदेश जैन समाज ने अद्वितीय योगदान दिया । जैन संत क्षुल्लक गणेशप्रसाद वर्णी, ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद आदि ने समाज को अपना मार्गदर्शन दिया। जैन समाज द्वारा जगह-जगह पाठशालाएँ, स्कूल, विद्यालय, कॉलेज, गुरुकुल, बोर्डिंग हाऊस, अनाथालय, औषधालय, धर्मशालाएँ, प्रकाशन संस्थायें, ग्रन्थमालाएं तथा अनेक सभा सोसाइटियों की स्थापना की गयी । वर्तमान में भी जैन समाज द्वारा मुजफ्फरनगर, खतौली, सहारनपुर, बड़ौत, बिजनौर, नजीबाबाद, आगरा, फिरोजाबाद, आदि में स्थापित डिग्री कॉलेजों में हजारों छात्र-छात्राएँ अध्ययन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जैन समाज द्वारा संचालित 25-30 जैन हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट कॉलेज हैं, इसके अलावा लगभग 100 जूनियर प्राइमरी स्कूल व प्राथमिक पाठशालाएँ जैन समाज द्वारा चलायी जा रही हैं । 4 राजनीतिक क्षेत्र में भी जैन समाज ने अपनी जनसंख्या के अनुपात से कहीं अधिक बढ़-चढ़ कर भाग लिया। कई जैन नेताओं ने प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर आन्दोलन में कार्य किया। इन नेताओं में अजितप्रसाद जैन, सुमतप्रसाद जैन, श्रीमती लेखवती जैन, बाबू रतनलाल जैन, नेमिशरण जैन, सेठ अचलसिंह जैन, अमोलकचन्द जैन आदि का नाम उल्लेखनीय है । महात्मा गाँधी ने जैन धर्म के प्रमुख सिद्धान्त 'अहिंसा' को राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रमुख हथियार बनाया। 1919 में उन्होंने 'असहयोग आन्दोलन' चलाकर ब्रिटिश सरकार के प्रति असहयोगी रुख अपनाने का आह्वान किया, जिसके परिणामस्वरूप हजारों देशवासियों ने सरकारी सुविधाओं, शिक्षण संस्थाओं, न्यायालयों आदि का बहिष्कार किया। कई नेताओं ने अपने सरकारी पदक वापस लौटा दिये । असहयोग आन्दोलन दो वर्षों तक चला, जिसमें हजारों प्रदेशवासियों ने अपनी भागीदारी की । इनमें जैन समाज के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया । 6 अप्रैल 1930 को गाँधी जी ने दाँडी पहुँचकर नमक कानून को भंग किया । उसके बाद पूरे देश में 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' पूरे वेग से चल पड़ा। जगह-जगह नमक बनाया जाने लगा । इस आन्दोलन से जन-जन में जागृति की एक नई लहर दौड़ गई। उत्तर प्रदेश के जैन समाज ने भी इस आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया और जेलों की यात्रायें की। अक्टूबर 1940 में महात्मा गाँधी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह का आरम्भ किया । 14 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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