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________________ २५०३ कानपुर में मुनि संघका एक दृश्य । बैठे हुए (1) श्री १०५ ऐलक चंद्रसागरजी, (२) श्री १०८ मुनि श्री धर्मसागरजी, (३) श्री १०८ आचार्य श्री मुनींद्रसागरजो महाराज, (४) श्री १०८ मुनि श्री श्रुतसागरमी, (५) आदिसागरजी पीछे बड़े हुए- (१) ला० दुर्गाप्रसादजी मारनौलवाडे, (२) ला. मेमिचन्द्रजी रईस, (३) जातिभूषण कविशिरोमणि १० स्वरूपचंद्रजी जैन सरोज एम. बी. एच. (४) जैन (५) या० नरायनदासजी जैन, (६) जातिशिरोमणि रा० सा• ला• रुपचंद्रजी आ. मजिस्ट्रेट कानपुर, (७) ला• चिम्मनलालजी देहली। कानपुर में विराजित मुनि संघ एवं स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी समाज को यह प्रेरणा भी दी गई कि घर खर्च के लिए जितने वस्त्र खरीदे जायें, वह सब स्वदेशी हों और मंदिर में स्वदेशी वस्त्र ही पहनकर आयें। 149 जिनेन्द्रचन्द्र जैन कागजी ने कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में खादी का व्यापक प्रचार किया। कानपुर जनपद में इस आन्दोलन का नेतृत्व गणेश शंकर विद्यार्थी कर रहे थे । सन् 1931 में कानपुर में हुए भयंकर साम्प्रदायिक संघर्ष में श्री विद्यार्थी शहीद हो गये। इस घटना के परिणामस्वरूप कानपुर में जनता सरकार के विरुद्ध उठ खड़ी हुई । अंग्रेजी सरकार ने विद्रोह को कुचलने के लिए कानपुर के तमाम बड़े नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। जैन समाज के प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को भी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया । 25 मार्च 1931 को अंग्रेज फौज के दो ट्रक अचानक 'बाबू निवास' हालसी रोड कानपुर पर आकर रुके और अंग्रेज सिपाहियों ने निवास को चारों ओर से घेर लिया। सिपाहियों ने कांग्रेसी नेता लाला फूलचन्द जैन, मनोहरलाल जैन, ऋषभकुमार जैन को बुलाने को कहा। गेट पर फर्म लक्ष्मण दास बाबूराम का कर्मचारी चन्द्रिकाप्रसाद शुक्ल (पहलवान) खड़ा था। शोर सुनकर जैन परिवार के सदस्य बाहर आ गये। सभी के बाहर आते ही फौजियों ने अपनी बन्दूकें उल्टी करके बट से मारने के लिए उठा लीं। यह देखते ही चन्द्रिकाप्रसाद ने अपने दोनों हाथों को फैलाकर तीनों मालिकों को समेटकर अपने हाथ दीवार पर सटा लिये और फौजियों की बन्दूकों की बटें उनकी पीठ पर पड़ने लगी। शीघ्र ही अंग्रेज फौज ने वहाँ मौजूद फूलचन्द जैन, 112 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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