SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ फर्रुखाबाद) ने सन् 1930 के राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और 1 वर्ष कड़ी कैद की सजा पायी। उनकी तरह ही विशम्भरदयाल जैन, आत्माराम जैन, ललताप्रसाद जैन आदि ने भी इस आन्दोलन में अपना सहयोग दिया। आजादी की लड़ाई के किसी भी पड़ाव पर फर्रुखाबाद जनपद पीछे नहीं रहा। इटावा जनपद के जैन समाज ने भी इस आन्दोलन में भागीदारी दर्ज की। यहां की कई जैन संस्थाओं ने स्वदेशी प्रचार का अभियान सम्भाला। 'जैन मित्र' के तत्कालीन अंक के अनुसार-जैन बालबुद्धि विकाशिनी सभा इटावा ने चेतावनी दी थी कि यदि जैन समाज 26 जन. 1930 तक स्वदेशी वस्त्र का प्रयोग न करेगी, तो सभा को विवश होकर जैन मंदिरों पर धरना देने के लिए विवश होना पड़ेगा। उसके फलस्वरूप आज दिनांक 23 जून को जैन पंचायत की एक सभा उक्त चेतावनी पर विचार करने के लिए श्री जैन धर्मशाला गाढ़ीपुरा में हुई, जिसमें जैन पंचायत ने यह निश्चय किया कि समस्त जैन समाज स्वदेशी वस्त्र ही खरीदकर प्रयोग करेगी और सभी मंदिरों में भी वहीं वस्त्र पहनकर आयेंगे। इसलिए यह सभा जैन समाज के निश्चय पर धरना स्थगित करती हैं। आशा है कि अन्य पंचायतें भी इस निर्णय का अनुकरण करेंगी। इस प्रकार इटावा जैन समाज में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया गया। ___ नमक आन्दोलन के दौरान कर्मवीर के सम्पादक कृष्णलाल जैन, कुंवर दिग्विजयसिंह, शिवसहाय जैन, किशनलाल जैन आदि सक्रिय रहे। जनपद इटावा के स्वयं सेवक आवश्यकता पड़ने पर जिले के बाहर भी जाकर धरना-प्रदर्शन आदि में भाग लेते थे।100 जिला झाँसी में भी यह आन्दोलन बड़े वेग के साथ चल रहा था। नमक कानून तोड़ने के बाद यहाँ के नागरिक मदिरा निषेध, विदेशी कपड़ों को जलाना तथा अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे। जैन समाज ने अन्य जिलों की भाँति यहाँ भी राष्ट्रीय आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। जैन मंदिरों में विदेशी वस्त्र लाने पर पाबंदियाँ लगायी गयी तथा आन्दोलन में जैन युवकों ने जेल यात्रायें की। तत्कालीन समाचार पत्र के अनुसार सदर झाँसी के जैनियों ने निश्चय किया है कि दिनांक 6 जून, 1930 के बाद जो जैनी भाई स्वदेशी व खद्दर के कपड़े पहने हुए नहीं होगा, उसे मंदिर के अंदर नहीं जाने दिया जायेगा व मंदिर के सम्पूर्ण कार्यों में खद्दर का ही उपयोग किया जायेगा।। स्वदेशी के प्रचार के साथ ही अनेक जैन लोग जेल गये। विश्वंभरदास जैन 'गार्गीय' आन्दोलन में अपने साथियों सहित जेल गये। जैन मित्र के अनुसार-झाँसी में विश्वंभरदास जैन तथा लक्ष्मीचंद जैन को 1-1 वर्ष की सजा दी गई। यहाँ की दुकानों में सभी विदेशी वस्त्रों को कांग्रेस की सील बंद करके रख दिया गया है। सदर 102 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy