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________________ समस्त राष्ट्र उस की सत्प्रेरणा से नव चेतना और नव स्फूर्ति को प्राप्त करता है। एक भ्रमपूर्ण धारणा का निराकरण आज राजनीति एक बबंडर की तरह हमारे जीवन पर बुरी तरह छा गई है। जहां देखो, राजनीति की ही चर्चा है। राजनीति की ही महत्ता है । साधारण राजनीतिज्ञ को जो सम्मान मिलता है, वह बड़े से बड़े विद्वान् वाग्मी और धर्मपरायण पुरुष को भी नहीं मिलता । इसी कारण संकीर्ण विचार वाले कुछ लोग समझते हैं कि किसी राजनीतिक घटना का स्मृति-दिवस ही राष्ट्रिय पर्व कहला सकता है , किन्तु हमें भूल नहीं जाना चाहिए कि राष्ट्र के विकास का आधार राजनीति नहीं, धर्मनीति है। धर्मनीति-विहीन राष्ट्र अधिक काल तक खड़ा नहीं रह सकता । वह शीघ्र ही लड़खड़ा कर गिर पड़ता है । राष्ट्रिय पर्व की कसौटी वस्तुतः राष्ट्रिय पर्व वह है जो राष्ट्र को उत्थान की बलवती प्रेरणा प्रदान करता हो, जिससे राष्ट्र में नवजीवन का संचार हो, जो राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति को जीवन की ऊंचाइयाँ प्राप्त करने के लिए आकर्षित करे और इस प्रकार राष्ट्र के सर्वांगीण जीवन को उन्नत बनाने का आदर्श उपस्थित करे । ऐसा राष्ट्र-पर्व किसी महान् राजनीतिज्ञ के जन्म-मरण का भी दिवस हो सकता और किसी महान अध्यात्मनिष्ठ महापुरुष के जीवन या निर्वाण से सम्बन्धित भी हो सकता है । तात्पर्य यह है कि जिस घटना से समग्र राष्ट्र में चेतना, जागृति और स्फूर्ति का संचार होता है एवं जो राष्ट को जीवन के परमोन्नत आदर्शों
SR No.022854
Book TitleDipmala Aur Bhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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