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________________ श्रमण-संस्कृति करना निश्चित रूप से एक क्रान्तिकारी कदम था। धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियों में उच्च वर्गों के समान सहभागिता की व्यवस्था ने सामाजार्थिक जड़ता को तोड़ते हुए एक नवीन गतिशीलता की स्थिति को उत्पन्न किया। ऐसी स्थिति में समाज का दलित वर्ग यदि अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुआ तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं। संदर्भ 1. बार्थ ए० रिलिजन ऑफ इण्डिया, नई दिल्ली, 1969, पृ० 118 2. उपाध्याय, बलदेव, बौद्धधर्म दर्शनमीमांसा, पृ० 371 3. दीघनिकाय अगञ्चसुत्त। 4. ऋग्वे द 10.90.12 5. विनयपिटक, महावग्गकथा - 2, पृ० 76 6. चूलकम्मविभंगसुत्त - पृ. 36 7. बोधिचर्यावतार पंजिका - पृ० 421 8. उपर्युक्त, पृ० 468 9. उपर्युक्त, पृ० 485 10. शिक्षा समुच्चय, पृ० 2 11. बोधिचर्यावतार पंजिका - 1/31 कृते यः प्रतिकुर्वीत सोऽपि तावत् प्रशस्यते। अव्यापारित साधुस्तु बोधिसत्वः किमुच्यताम्।। 12. रिनपोचे एस०, सोसल एण्ड पोलिटिकल स्टेट इन बुद्धिस्ट थॉट, महाबोधि भाग - 82, 1974 13. ओम प्रकाश, कन्सेप्युलाइजेशन एण्ड हिस्ट्री, 1992, इलाहाबाद, पृ० 105 14. अम्बेडकर, बी० आर०, द बुद्ध एण्ड हिज धम्म, बाम्बे, 1957, पृ० 30-306 15. नेहरू, जवाहरलाल, डिस्कवरी ऑफ इण्डिया, पृ० 41 16. ओल्डेन वर्ग, एच० एशियेन्ट इण्डिया, शिकागो, 1898, पृ० 153 17. फिक, आर० द सोशल आर्गनाइजेशन इन नार्थ ईस्ट इण्डिया इन बुद्धाज टाइम, वाराणसी, 1972, पृ० 333 18. सिनहा, बी० पी० दि अर्ली बुद्धिज्म एजः ए कैरेटर ऑफ सोशल चेन्जेज 'इन स्टडीज इन रिलिजन एण्ड चेंज (एडिटेड) मधुसेन - पृ० 82 19. शर्मा आर० एस० मेटेरियल बैकग्राउण्ड ऑफ ओरिजन ऑफ बुद्धिज्म पृ० 63, एवं 66
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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