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________________ बौद्ध धर्म एवं दलित चेतना 41 आधृत, कर्मनिष्ठ, नैतिक एवं जातिविहीन समाज का प्रबल पोषक था। अनेक विद्वानों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि बुद्ध वह प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक मानव सम्बन्धों पर प्रभावोत्पादक व्यवहारिक विचार व्यक्त किया। उनके विचार पूर्णतः क्रान्तिकारी एवं शक्तिशाली थे। उन्होंने जाति व्यवस्था की भर्त्सना की, मानव में समानता को स्वीकार किया और व्यक्ति को आर्थिक कल्याण एवं नैतिक विकास का संज्ञान कराया। डॉ० बी० आर० अम्बेडकर ने बुद्ध को जाति, असमानता एवं श्रेष्ठता के मानदण्डों पर आधारित समाज के विरुद्ध आवाज उठाने वाला घोषित किया है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी गौतम बुद्ध को सामाजिक क्रान्तिकारी की संज्ञा से अभिहित किया है। इसके विपरीत अनेक विद्वान बुद्ध को समाज सुधारक मानने से परहेज करते हैं। फिक जैसे विद्वान का कहना है कि बुद्ध के अथक प्रयास के बावजूद भारतीय समाज उनकी मृत्यु के बाद तक मूलतः अपरिवर्तित रहा। जातिय गौरव एवं जाति व्यवस्था की अनेक विशिष्टताओं की प्रतिध्वनि सामाजिक यथार्थ के रूप में जातक कथाओं से आती है। बी० पी० सिन्हा के अनुसार गौतम बुद्ध अपने धार्मिक विचारों एवं विश्वासों को प्रधानतया प्रचारित करने तक सम्बद्ध थे। आर० एस० शर्मा ने तत्कालीन सामाजार्थिक तथ्यों की परिधि में यह कहने का प्रयास किया है कि सामाजिक असमानता, शोषण एवं दासता के तत्व उत्पादन के प्रारम्भिक समय से ही प्रच्छन्न रूप से व्याप्त थे। ये अपने संरक्षक के हित-साधन के स्रोत थे और प्रारम्भिक बौद्ध धर्म इसे दमित नहीं कर सका। किन्तु बौद्ध साहित्य के सम्यक् अनुशीलन से उपर्युक्त मत बौद्ध धर्म के एकांगी पक्ष का अनुशीलन करते प्रतीत होते हैं। वास्तव में बुद्ध ने अपने उपदेशों एवं क्रियाओं के माध्यम से जातीय श्रेष्ठता, सामाजिक असमानता दमन एवं शोषण के विरुद्ध जन चेतना जागृत करने का सफल प्रयास किया। वे समानता एवं बन्धुत्व भाव के प्रबल अधिवक्ता थे। उनके द्वारा जातीय एवं सामाजिक बन्धनों से परे जाकर बौद्ध-संघ की स्थापना में इसी उदात्त भाव के दर्शन किये जा सकते हैं। उन्होंने संघ में सभी जाति एवं वर्ण के सदस्यों को समान रूप से स्थान प्रदान किया। सारिपुत्र जैसे ब्राह्मण, आनन्द जैसे क्षत्रियों, उपालि एवं सुनीति जैसे दलितों को समान रूप से संघ की सदस्यता प्रदान
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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