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________________ 15 बौद्ध वाङ्मय में महिला विमर्श यह अस्वीकार नहीं किया जा सकता है कि भिक्षुणी संघ की स्थापना से बद्ध ने महिलाओं को जिस स्तर पर धर्मपरायणता का अवसर प्रदान किया, वह विश्व के इतिहास में आने वाले लम्बे समय तक एक अद्वितीय बात रही। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी मृत्यु के बाद, कुछ व्यावहारिक तर्कों को नारी स्वभाव की कमियों के बारे में अटकलबाजी करने के बहाने का आधार बना लिया गया। महापरिनिर्वाणोत्तरकालीन संघ में आये विभिन्न विरोधाभासों का समाधान प्रथम भिक्षुणी के रूप में महाप्रजापति गौतमी तथा उनके द्वारा आठ प्रतिबंध गुरु धर्मों की स्वीकृति की कहानी की कल्पना करके किया गया। दिलचस्प बात यह है कि महाप्रजापति गौतमी ने अपने पति की मृत्यु के बाद प्रव्रज्या प्राप्त की, जबकि तब तक अनेक महिलाएं बुद्ध से उपसम्पदा पा चुकी थीं। उनकी प्रतिष्ठा के कारण उनका नाम मनगढन्त सूची में सम्मिलित किया गया लगता है। आई० बी० हॉर्नर अनुभव करती हैं कि 500 वर्षों बाद बुद्ध धर्म के पतन की भविष्यवाणी को बाद में भिक्षुओं द्वारा कल्पित किया गया प्रतीत होता है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि इन विरोधाभासों का समाधान एक कलावधि में हुआ और चुल्लवग्ग में दिया गया विवरण शायद उसे तर्कसंगत करने तथा उचित ठहराने की और भी बाद की कोशिश थी जो पहले से ही यथापूर्व स्थिति बन चुकी थी। साधारण तर्कसंगत व्याख्या के अतिरिक्त, एक पुनरावृत्ति विषय भी मिलता है जो विभिन्न विरोधाभासों का समाधान ढूंढने की कोशिश करता है। महाप्रजापति गौतमी को इसलिए भी चुन लिया गया प्रतीत होता है कि क्योंकि बुद्ध उनके अधिकतम ऋणी थे, जिस कारण एक महिला के रूप में उन्हें उच्च सम्मान प्राप्त था। कहानी विश्वसनीय बनाने के लिये, आरम्भ में सम्पादक महाप्रजापति गौतमी को आठ प्रतिबन्धक गुरु धर्मों को तुरन्त स्वीकार करते दिखाते हैं, लेकिन बाद में उन्हें आनन्द के पास जाकर बुद्ध से प्रवरता से सम्बद्ध प्रथम गुरु धर्म पर ढील देने के लिए पूछते दिखाते हैं। ऐसी छूट के फलस्वरूप महिलाओं को मठीय समुदाय के भीतर अत्यधिक प्रतिष्ठा व विशेषाधिकार प्राप्त हो जाते और निःसंदेह भिक्षुणी-संघ का परवर्ती इतिहास काफी भिन्न होता। जवाब स्पष्ट तौर पर नकारात्मक दिखाया गया है, जिसे इस आधार पर उचित ठहराया गया कि लैंगिक साम्यता बिल्कुल
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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