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________________ बुद्धकाल में भारत की राजनीतिक तथा सामाजिक व्यवस्था 301 होते हुए भी कुछ बातों में उन सब में कुछ समानताएं भी थीं। तत्कालीन ग्रामों तथा नगरों का अध्ययन हम टी० डब्ल्यु० राइस डेविड्स के ग्रंथ 'बुद्धिस्ट इंडिया' के आधार पर इस प्रकार कर सकते हैं फसल को सभी ग्रामवासी एक ही समय पर काटते थे। सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था भी मिल कर सकते थे। गांव के प्रधान की निगरानी में, नियमानुसार किसानों को पानी मुहैया कराया जाता था। साथ ही, अपने खेतों की हद खींचने की कोई आवश्यकता नहीं होती थी। यह कार्य एक सामान्य परिधि के निर्माण से निष्पादित होता था। पानी की गूलें खेतों की सीमाएं निर्धारित करती थीं। सामान्य नियम के अनुसार विशाल खेतों को विभिन्न प्लाटों में बांट दिया जाता था। जितने गृहपति होते थे, उतने ही प्लाट बनाए जाते थे ताकि प्रत्येक परिवार को अपने हिस्से का खाद्यान्न उपलब्ध हो सके। कोई ग्रामवासी अपने हिस्से के खेतों को किसी बाहरी व्यक्ति को न तो बेच सकता था और न ही उसे गिरवी रख सकता था। ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना ऐसा करना उसके लिए असंभव होता था। किसी भी ग्रामवासी को अपने खेतों की वसीयत करने का अधिकार नहीं था। यहाँ तक कि स्वयं अपने परिवार के सदस्यों में वह अपनी जायदाद के हिस्से भी नहीं कर सकता था। ये सारे मामले परम्परा से चले आ रहे नियमों के अनुसार सुलझाए जाते थे और ग्रामवासियों के सामान्य ज्ञान द्वारा सही-गलत का निर्णय लिया जाता था। ग्रामवासियों का यह सामान्य ज्ञान अग्रजाधिकार को कोई मान्यता नहीं देता था। सामान्य, गृहपति के निधन पर परिवार का कामकाज बड़े बेटे की देख-रेख में पहले की तरह ही चलता रहता था और यदि जायदाद को बांटने की आवश्यकता आ पड़े तो उसे सभी बड़ों में बराबर बराबर बांट दिया जाता था। भिन्न-भिन्न कालों में यद्यपि बड़े बेटे को व्यक्तिगत जायदाद में कुछ ज्यादा हिस्सा मिल जाता था लेकिन ज्यादातर उसका बंटवारा भी सभी बेटों में बराबर-बराबर होता था। स्त्रियों की भी अपनी व्यक्तिगत जायदाद होती थी - विशेष रूप में कपड़े और आभूषण। बेटियों को अपनी मां के धन से सम्पत्ति मिलती थी। बेटियों को खेतों में अपना हिस्सा अलग करने की आवश्यकता नहीं होती थी क्योंकि खेतों का उत्पाद उनके पतियों/भाइयों को मिलता था। पारिवारिक सम्पत्ति की भांति कोई व्यक्ति उत्तराधिकार के रूप में अथवा
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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