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________________ श्रमण -संस्कृति गंगा-यमुना, गोदावरी, कावेरी, नर्वदा, सिन्धु, आदि नदियां कितने हजार वर्षों से आज तक पवित्र ही मानी जाती हैं। मनुष्य के विभिन्न संस्कारों में प्रयुक्त होने वाले वेद विहित जो मंत्र गृह्य सूत्रों में पूर्णतया विकसित होकर समाज में स्थापित हुऐ थे । सहस्रों वर्ष बीत जाने पर भी पूरे भारत वर्ष में विभिन्न संस्कारों के समय उन्हीं मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। समय-समय पर भारत में नवीन प्रवृत्तियां भी उत्पन्न हुईं। बाह्य आक्रमणकारियों का भी इस संस्कृति पर प्रभाव पड़ता रहा । किन्तु भारतीय संस्कृति के मूल तत्व इतने अधिक प्रबल थे कि विभिन्न परम्पराओं का मूल इतना पुष्ट एवं गहरा था कि न तो समय उन्हें उखाड़कर फेंक सका और न ही वह प्रभाव उसे नष्ट कर सका। प्रसिद्ध उर्दू शायर इकबाल ने अपनी 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' कविता में भारतीय संस्कृति के इसी अटूट प्रवाह को लक्ष्य करके लिखा था - 290 यूनानों मित्र रोमा सब मिट गये जहाँ से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी । भारतीय संस्कृति ने विभिन्न नयी प्रवृत्तियों एवं बाह्य प्रभाव को केवल सहन ही नहीं किया अपितु उन देशी अथवा विदेशी नवीन तत्त्वों को आत्मसात करके अपना अंग ही बना लिया, विनाश एवं विध्वंस भारतीय संस्कृति का गुण नहीं था । इसका वैशिष्ट्य तो ग्रहण तथा संरक्षण है। इसी कारण इस भारतीय संस्कृति ने अत्यन्त प्राचीन काल से आज तक अपने संपर्क में आने वाली द्रविण, यूनानी, सीथियन, मुगल, ईसाई सभी संस्कृतियों के विभिन्न सुन्दर अंशों को ग्रहण कर लिया । वैदिक युग में प्रकृति गत तत्त्व इन्द्रादि प्रमुख देव थे तो परवर्ती युग में द्रविण प्रभाव से शिव प्रमुख देवता बन गये । वस्तुतः जो प्रथा, संस्था अथवा व्यवस्था उत्पन्न होकर भारत में एक बार ग्रहण कर ली गयी वह फिर नष्ट नहीं हुई। भारतीय संस्कृति के इसी गुण को परिलक्षित करके ठीक ही कहा कि 'भारतीय संस्कृति की कहानी एकता और समाधानों का समन्वय है तथा प्राचीन परम्पराओं और नवीन मानों के पूर्ण संयोग की उन्नति की कहानी है।' भारतीय संस्कृति में परिस्थिति के अनुकूल ढल जाने की अद्भुत क्षमता है । इस संस्कृति में आश्चर्यजनक लचीलापन है। इसके कारण यह संस्कृति
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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