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________________ भारतीय बौद्ध शिक्षा केन्द्रः विहार-आयाम 261 आधुनिकतम कन्नौज है। विनय पिटक के अनुसार 'कण्णकुज्ज' या कान्यकब्ज में सेंकस्स से श्रद्धेय थेर खेत थे। युवानच्वान्ग ने कान्यकुब्ज में 100 बौद्ध अधिष्ठान देखे थे। उसके समय में कन्नौज का शासन अधिष्ठान देखे थे। उसके समय में कन्नौज का शासन हर्षवर्धन अपने प्रशासन में न्यायशील एवं कर्तव्य पालन में नियमनिष्ठ था। सत्कार्यों के सम्पादन में वह अपने तन-मन से लीन होता था। गंगा के तट पर उसने अनेक स्तूप एवं बौद्ध विहार बनवाये थे। मथुरा विहार मथुरा से प्राप्त एक बौद्ध वेदिका स्तम्भ लेख में धनभूति और वात्सी के पुत्र वाधपाल का उल्लेख सर्वबुद्धों की पूजा के लिए रत्नगृह की वेदिका एवं तोरण के दाता के रूप में किया गया है। तोरण युक्त इस वेदिका का सम्पूर्ण, उसने अपने माता-पिता तथा बौद्ध सम्प्रदाय के चारों वर्गों, भिक्षु-भिक्षुणी उपासक एवं उपासकों के साथ किया था। बौद्ध धर्म के इतिहास में मथुरा के उपगुप्त विहार का बहुत महत्व है क्योंकि इसी विहार में उन्होंने अनेक लोगों को बौद्ध धर्म के दीक्षित करने में सफलता प्राप्त की थी। मथुरा बौद्ध धर्म, कला, संस्कृति एवं शिक्षा की प्रसिद्ध स्थली थी। जालंधर विहार चीनी इसे शो-लान-ता-लो कहते हैं। वहाँ पर पचास से अधिक विहार थे जिनमें 2, 000 से अधिक भिक्षु रहते थे। ताम्रलिप्ति ताम्रलिप्ति पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में रूप नारायण और छुगली के संगम से लगभग 12 मील दूरी पर स्थित तामलुक ही है। यहाँ पांचवीं शताब्दी ईसवी में चीनी तीर्थयात्री फाह्यान और सातवीं शताब्दी ई० पू० में युवानच्वान्ग आया था। उसके अनुसार यहाँ दस से अधिक बौद्ध विहार थे, जिनमें 1000 से अधिक भिक्षु रहते थे। फाह्यान ने ताम्रलिप्ति को चम्पा के पूर्व में 50 योजन दूर पर समुद्र तट पर स्थित बतलाया है। सातवीं शती ई० में इत्सिंग ताम्रलिप्ति के वाराह नामक एक प्रसिद्ध विहार में रहता था। महावंश से
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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