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________________ 39 भारतीय बौद्ध शिक्षा केन्द्र : विहार-आयाम अनामिका त्रिपाठी सम्यक् सम्बोधि सम्प्राति के पश्चात जागतिक प्राणियों के दुःख निवारण हेतु अपने धर्म चक्र प्रवर्तन के उपदेशात्मक चारिका में जब महात्मा बुद्ध राजगृह, वैशाली, श्रावस्ती आदि प्रमुख स्थानों में चातुर्मास विश्राम के लिए निवास करते थे, उस समय उनके साथ समूह में चलने वाले भिक्षुओं का भी चातुर्मास निवास होता था । इस अवधि में गौतम बुद्ध भिक्षु समूह को विशेष शिक्षाएं देते रहते थे । इसके परिणामस्वरूप राजगृह, वैशाली, श्रावस्ती आदि में बौद्ध - केन्द्र के रूप में 'विहार' निर्मित किये गये । कालान्तर में इसका स्वरूप संधायम मे रूपान्तरित हुआ । प्रारम्भिक संरचनात्मक विहारों का निर्माण वटिकाश्म खण्डों से किया गया जिसमें दीर्घ वृत्ताकार विशाल - कक्षायें और लघु सह-कक्षों को आयाम कहा जाता था । इन्हीं विहारों और संधायमों का परवर्ती विकास अन्तर्राष्ट्रीय तथा देशान्तरीय बौद्ध शैक्षिक अध्ययन केन्द्रों के रूप में हुआ। इसी प्रकार शैलकृत शैलोत्खनित गुफाएं और चैत्य के गृह निकट निर्मित विहार भी बौद्ध शिक्षा केन्द्र के रूप में कार्य करने लगें। इन प्रमुख विहारों, आयामों एवं संघायमों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत है: · राजगृह - यह पुर अनेक धनी श्रेष्ठियों का आवास था । राजगृह के संथागार में सभाएं होती थीं, जिसमें लोग मिलते थे और लोक कल्याण के साधनों पर परिचर्चा करते थे । यहाँ के निवासी भिक्षुओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को तृप्त करने के लिए इस विश्वास से सदैव तत्पर रहते थे कि मोग्गलायन सहित
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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