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________________ 247 ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी के प्रमुख तीर्थ स्थलों का महत्व है। जो केदारनाथ में पूजन-अर्चन के पश्चात् गंगा-यमुना के संगम प्रयाग पहुंचा फिर श्री पर्वत की परिक्रमा और भगवान मल्लिनाथ का दर्शन किया पुनः रेवा और गोदावरी नदी में पवित्र स्नान किया तथा त्रयम्बक होते हुए रामेश्वरम् पहुंचा और तब देवपत्तन के रास्ते प्रभास वापस आया।" इस सम्बन्ध में सबसे रोचक तथ्य है कि 'शिवपुराण'2' में बारह ज्योर्तिलिंगों की चर्चा की गयी है। (1) सोमनाथ, (2) मल्लिकार्जुन, श्रीशैल पर्वत पर स्थित, (3) उज्जैनी-महाकाल, (4) अमरेश्वर-ओमकार, (5) केदार, (6) भीष्मकार, (7) काशी में विश्वेश्वर, (8) नासिक - त्रयम्बक्, (9) वैद्यनाथ धाम, (10) दारूकारण्य में नागेश, (11) रामेश्वरम्, (12) दौलताबादगृहरनेश। इन सभी 12 ज्योर्तिलिंगों पर तपस्वी त्रिपुरान्तक ने शिव अराधना की थी। आश्चर्य की बात यह है कि उसके यात्रा विवरण में काशी के विश्वेश्वर का नाम सम्मिलित नहीं है। लक्ष्मीधर ने विश्वेश्वर को वाराणसी के 220 लिंगों में गणना कीया है जिसमें उज्जैनी और केदार सम्मिलित है। बल्लालसेन ने दानसागर में श्रीपर्वत, केदार, ओमकार, वाराणसी और रामेश्वर के ज्योर्तिलिंगों की चर्चा की है। 'वृहस्पत्य अर्थशास्त्र' में आठ प्रसिद्ध शिवक्षेत्र का वर्णन है, किन्तु उनमें किसी 12 ज्योर्तिलिंगों का नाम सम्मिलित नहीं है। स्कन्दपुराण में भी इन स्थलों का उल्लेख है - ओमकार, महाकाल, विश्वेश्वर ललितेश्वर, त्रयम्बक, भद्रेश्वर, द्रक्षरामेश्वर जो गंगासागर के संगम पर स्थित है। सौराष्ट्र में सोमेश्वर, विन्ध्याचल में सर्वेश्वर, श्रीशैल में शिखरेश्वर, कान्तीपुर में अल्लालनाथ, सिम्हला में सिम्हनाथ, इस प्रकार से उन सब पर विचारोपरान्त कहा जा सकता है कि 13वीं शताब्दी के पूर्व बारह प्रमुख ज्योर्तिलिंगों के विशेष मान्यता के पुष्ट प्रमाण नहीं हैं। विवेच्य काल में साहित्यिक साक्ष्यों में तीर्थों के महत्त्व पर प्रकाश पड़ता है। अलबरूनी ने मुल्तान, थानेश्वर, काश्मीर, बनारस, पुष्कर, मथुरा आदि का उल्लेख किया है। सोमदेव कृत कथासरितसागर ने ग्यारहवीं शताब्दी के प्रमुख तीर्थों पर प्रकाश डाला है। बद्रीनाथ, विन्ध्यवासिनी-दुर्गा, पुष्कर, प्रयाग, बनारस, चित्रकूट आदि प्रमुख हैं। दसवीं से बारहवीं शताब्दी के प्रमुख तीर्थ स्थलों के बारे में भद्र लक्ष्मीधर ने कृत्यकल्पतरू के 'तीर्थविवेचनकाण्डम्'
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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