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________________ ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी के प्रमुख तीर्थ स्थलों का महत्व 245 एक सानिध्य में लाने का अनूठा कार्य किया है। भारतीय संस्कृति में माना गया है कि तीर्थस्थलों पर देवताओं का वास होता है। इस भावना से उत्पन्न विचार एवं विश्वास के कारण प्राचीन धर्म शास्त्रकारों ने तीर्थ स्थलों पर जाने के लिए प्रेरित किया। सामान्यतया तीर्थ का अर्थ होता है - वह स्थल जो पवित्र जलयुक्त हो, जिसमें नदी, प्रपात, जलाशय आदि जो अपने अत्यन्त विलक्षण स्वरूप के कारण पूजार्चन से जीवन के परमलक्ष्य की प्राप्ति एवं इस लोक से मुक्ति प्राप्त करने की भावना जाग्रत करें। महाभारत एवं पुराणों में तीर्थ यात्रा की तुलना देव यज्ञों से करते हुए कहा गया है कि तीर्थ से जो पुण्य प्राप्त होते हैं, वह यज्ञों से उत्तम है। विवेच्य काल के अभिलेखों एवं साहित्यिक साक्ष्यों एवं समकालीन यात्रियों के यात्रा विवरण में भी तीर्थ एवं तीर्थाटन के अनेक संदर्भ भरे पड़े हैं जिनके सूक्ष्म अध्ययन से पता लगता है कि 12वीं सदी ई० में अनेक तीर्थ महत्वपूर्ण स्थिति में थे जो संस्कृति एवं आर्थिक उत्थान के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुए हैं। चन्देल राजा 1051 ई० के चरखारी से प्राप्त एक ताम्रपत्र में देवर्मादेव के पौत्र विद्याधरदेव ने पूर्णिमा के दिन पवित्र तीर्थ स्थल में स्नानकर, शिव की अर्चना कर यमुना नदी के किनारे स्थित एक गांव ब्राह्मण को दान दिया। पी० पी० वाणे के अनुसार उस समय प्रसिद्ध तीर्थों की संख्या दस थी किन्तु उसमें से केवल एक मथुरा के निकट यमुना के किनारे पर स्थित था जिसका वर्णन वाराह पुराण में मिलता है। 1055 ई० में धारा के जयसिंह द्वारा पवित्र तीर्थ अमरेश्वर में ब्राह्मणों का गांव दान देने की चर्चा है जिसमें अमरेश्वर नामक तीन तीर्थ होने के संकेत मिलते हैं। जबकि जयसिंह के मान्धाता-ताम्रपत्र इसे नर्मदा के तट पर स्थित होने की सूचना देता है। सम्भवतः अमरेश्वर नर्मदा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित ओंकारनाथ था राजा उद्योतकेशरी 1055-1080 ई० के ब्रह्मेश्वर मन्दिर लेख से गगनचुम्बी चारूशाला भव्य मन्दिर स्थित होने का पता चलता है जो ग्यारहवीं शदी के मध्य में भुवनेश्वर में पवित्र स्थल होने का सबसे बड़ा प्रमाण है। चालुक्य नरेश विक्रमादित्य षष्ठ के 1082 ई० के एक लेख में कुछ पवित्र तीर्थ स्थलों में वाराणसी, कुरूक्षेत्र, अर्ध्यतीर्थ, प्रयाग और गया का
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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