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________________ 213 भारतीय चिन्तन और संस्कृति को बौद्ध धर्म का योगदान की सीमाओं से आगे निकलकर मध्य एशिया, चीन, जापान, तिब्बत, वर्मा, थाईलैण्ड, कम्बोडिया आदि देशों तक पहुंच गया मौर्य अशोक व कनिष्क के काल में बौद्ध धर्म, राजधर्म के रूप में स्थापित हो गया। सम्राट अशोक ने इस धर्म को स्थानीय धर्म की संकीर्ण सीमाओं से बाहर निकालकर मानवता के धर्म के रूप में पूरे विश्व में स्थापित कर दिया। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में युग प्रवर्तक महात्मा बुद्ध ने भारतीय सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन के सभी क्षेत्रों में एक नवीन वैचारिक क्रान्ति के युग का श्रीगणेश किया। अपने उपदेशों व शिक्षाओं के माध्यम से बौद्ध धर्म में जो भी दर्शन व चिन्तन भारतीय समाज को दिया उसने भारतीय संस्कृति के लिये प्राणवायु का कार्य किया। ___ भारतीय संस्कृति की अद्भुत संजीवनी शक्ति बौद्ध धर्म की ही देन है। आध्यात्मिकता, नैतिकता, त्याग, अहिंसा, परोपकार, सेवा, संयम, शील, अनुशासन, माता-पिता का सम्मान, गुरुजनों के प्रति श्रद्धा, सच्चरित्रता, मन एवं वाणी पर संयम, सुख व दुःख के समभाव, समन्वादिता, उदारता, वसुधैव कुटुम्बकम् के आदर्श जो इक्कीसवीं सदी में भारतीय सभ्यता व संस्कृति को विश्व में अतुल्य बनाये हुये है सब बौद्ध धर्म की ही देन है। स्वतना का विवेकशील चिन्तन, यथार्थवादिता कर्म में आस्था, सांसारिक तृष्णाओं से विरक्ति, बौद्धिक क्रियाशीलता, भाषा व स्वभाव की सरलता, सत्यवचन, चिन्तन की एकाग्रता, जीविकोपार्जन के नैतिक साधन, विनम्रता, मधुरता, धार्मिक सहिष्णुता भारतीय संस्कृति का आधार है। इस प्रकार भारतीय संस्कृति अपनी वैशिष्टताओं एवं विश्व में एक अलग व स्वतंत्र पहचान के लिये सदैव बौद्ध धर्म की ऋणी रहेगा। भारतीय सभ्यता व संस्कृति के विविध पक्षों पर बौद्ध धर्म का व्यापक प्रभाव दिखायी देता है। ईसा पूर्व छठी सदी की तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था के प्रति लोगों में तीव्र असन्तोष व घृणा व्याप्त थी। वैदिक धर्म में प्रचलित ज्ञान, अनुष्ठान, पशुबलि, धार्मिक अन्धविश्वास, निरर्थक कर्मकाण्ड, बाह्य आडम्बर, ब्राह्मणों की प्रभुता, कट्टरता आदि प्रथायें भारतीय समाज के लिये असह्य हो चुकी थी। समाज व्यवस्था का आधार चातुर्वर्ण्य व्यवस्था थी। समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय,
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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