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________________ बौद्ध शिक्षा परम्परा का आधुनिक भारतीय शिक्षा पर प्रभाव 193 की उपलब्धता सभी के लिए होती थी। इसीलिए प्रवेश हेतु योग्यताओं के बजाये निर्योग्यताओं का उल्लेख किया गया था और इन्हें पूरी तरह से सार्वजनिक भी कर दिया गया था यह व्यवस्था अपने आप में प्रजातान्त्रिक थी, क्योंकि वैदिक व्यवस्था में प्रवेश गुरु का इच्छा पर निर्भर होता था तथा प्रवेश हेतु शर्तों को स्पष्ट रूप में सार्वजनिक भी नहीं किया जाता था। वर्तमान समय में शिक्षा का अवसर समान रूप से सभी को उपलब्ध कराने के लिए सरकार कटिबद्ध हैं। विभिन्न धर्मों जातियों एवं वर्गों के लिए विशेष प्रयत्न करने का भी सुझाव दिया है, जिसे बौद्ध कालीन शिक्षा परम्परा से जोड़कर देखा जा सकता है। उपरोक्त अध्ययन में शिक्षा के विभिन्न पक्षों के संदर्भ में वैदिक, बौद्ध एवं वर्तमान काल की शिक्षा परम्परा का सम्यक विश्लेषण करने के उपरान्त यह तथ्य प्रस्फुटित होता है कि वर्तमान भारतीय शिक्षा व्यवस्था के अनेक पक्ष बौद्धकालीन शिक्षा परम्परा से जुड़े हुए हैं, इस दृष्टि से बौद्ध शिक्षा को भारतीय शिक्षा संरचना का श्रोत माना जा सकता है। सन्दर्भ 1. ब्रह्मवर्चस सम्पादक, धर्मचक्र प्रवर्तन एवं लोकमानस का शिक्षण, मथुरा अखण्ड ज्योति संस्थान 20011 2. मिश्र पं० जयशंकर, प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, पटना बिहार ग्रंथ अकाडमी 19991 3. अल्तेकर डॉ० ए० यस० एजुकेशन इन यनसियन्ट इण्डिया। 4. गुप्त राम बाबू, भारतीय शिक्षा और उसकी समस्याएं, आगरा रतन प्रकाशन मंदिर 19951 5. चौबे डॉ० एस० पी० भारतीय शिक्षा का इतिहास, इलाहाबाद राम नारायण लाल बेनी माधव 19651
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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