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________________ 126 श्रमण-संस्कृति पिटक, (3) अभिधम्मपिटक । इसके अतिरिक्त बौद्धों से संबंधित संस्कृत साहित्य में अश्वघोष द्वारा रचित बुद्धचरित, सौदरानंद, सुत्रलंकार, सारिपुत्रप्रकरण, वज्रसूचि, वसुमित्र द्वारा रचित महाविभाष शास्त्र इत्यादि । ग्रंथों में महत्वपूर्ण हैं (1) बारह अंग, (2) बारह उपांग, (3) दस प्रकीर्ण, (4) छ: छेद सूत्र, (5) चार मूलसूत्र, ( 6 ) दो सूत्र ग्रंथ । ये सभी प्राकृत / अर्धमागधी भाषा में लिखित हैं। इसके अतिरिक्त भद्रबाहु रचित कल्पसूत्र, भद्रबाहुचरित, हेमचंद्ररचित प्रसिष्ठ पर्व महत्वपूर्ण जैनी ग्रंथ है। जैन व बौद्ध दोनों ने वेद की प्रमाणिकता तथा वेदवाद पर संदेह व्यक्त किया है। यज्ञ कर्मकांड तथा यज्ञ में पशुवध के विधान, जैन व बौद्धों के लिए आलोचना की विषय वस्तु रहे। दोनों ने ईश्वर की सत्ता को नकारा तथा जन्म मरण के चक्र से मुक्ति तथा दुःख से निवृत्ति हेतु वैदिक व्यवस्था में सुझायी गयी राह जिसमें ईश्वर, पुरोहित, यज्ञ, इत्यादि का महत्व था, जो खारिज किया । जैन व बौद्ध धर्म दोनों में संसार को दुःख से भरा हुआ बताया गया है। मनुष्य का जीवन तृष्णा से घिरा रहता है। सभी जीव अपने कर्मों के अनुसार विभिन्न योनियों में उत्पन्न होते हैं, तथा कर्मफल भोगता है । इस कर्मफल से मुक्ति पाना तथा जीवन-मरण के चक्र से छुटकारा पाना ही जीव का चरम लक्ष्य है। इसे दोनों धर्मों में निर्वाण कहा गया है। जैन धर्म में निर्वाण यद्यपि मृत्यु के साथ प्राप्त होता है जबकि बौद्ध धर्म में निर्वाण की प्राप्ति इसी जन्म में अर्थात् मृत्यु से पूर्व ही संभव बताया गया है। महावीर स्वामी तथा महात्मा बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त करना व्यक्ति का स्वयं अपना उत्तरदायित्व बताया है। मनुष्य अपने भाग्य का विधाता स्वयं है। मनुष्य अपने कर्मफल के संग्रह को समाप्त कर तथा उससे विमुख होकर जीवन-मरण चक्र से मुक्ति अर्थात् निर्वाण प्राप्त कर सकता है। यह सभी जाति एवं वर्ण के लिए समान रूप से लागू होता है। भले ही वह वैश्य अथवा शूद्र हो या स्त्री हो । जैन धर्म में आत्मा पर विचार किया गया है। यहाँ तक कि जीव- अजीव सभी पदार्थों में आत्मा का होना माना गया है। महावीर स्वामी ने माना है कि
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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