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________________ श्रमण-संस्कृति 10 स्थापित करने का रिवाज बहुत पुराने समय से चला आ रहा है। ऋग्वेद में इसका उल्लेख है इसके साथ लौरियानन्दनगढ़ में मिट्टी के थूहों में ऐसे स्तम्भों स्पष्ट प्रमाण मिले हैं, सांची के महाचैत्य में तोरण के सामने ऐसे ही स्तम्भ है । चैत्यगृह का यह स्तम्भ 50 फीट ऊंचा षोडश पहलू है। इनके शीर्ष भाग पर क्रमशः औधा पद्म कोश, त्रिमेधि पीठिका तथा चारों दिशाओं में मुख किए एवं पीठ सटाए चार महाकाय शिंह मूर्तियां बनी हैं। 102 हीनयान युगीन चैत्यगृहों के साथ-साथ बिहारों को भी उत्कीर्ण कया गया है, यद्यपि वास्तु दृष्टि से बिहार चैत्यगृहों की भांति महत्वूपर्ण नहीं किन्तु इनमें बौद्धों की शान्तीप्रियता का ज्ञान अवश्य प्राप्त होता है। बौद्धों ने पर्वतों को खोदकर अपना आवास बनाया, विशाल एवं सादे प्रांगण के चतुर्दिक जो कक्ष काटकर बनाई गई है, उनमें पाषाण के ही शयन मंच बने हैं, ये कक्ष सामान्यतः 9 फीट वर्ग के हैं। इनका प्रवेश द्वार मध्य में नहीं वरन् किनारे को एक दीवार से सटाकर बना है, प्रांगण के समक्ष मुख मण्डप एवं अन्तराल बने हैं, इनका सम्पूर्ण निर्माण संरचनात्मक भवनों के ही आधार पर किया गया प्रतीत होता है। महायान युगीन चैत्यगृह एवं बिहार (पांचवीं शताब्दी इस्वी में आठवीं शताब्दी.. .. ) हीनयान चैत्यगृहों के लगभग दो शताब्दी पश्चात् महायान गुफाओं की परम्परा विकसित हुई परन्तु वास्तुकला की दृष्टि से यद्यपि कोई विशिष्ट प्रगति न हुई किन्तु बुद्ध एवं बोधिसत्वों की मूर्तियों के निर्माण से मूर्तिकला के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ । महायान चैत्यगृहों का मध्य केन्द्र अजन्ता, एलोरा तथा औरंगाबाद है । इन चैत्यगृहों में भी हीनयान की भांति मण्डप, स्तूप प्रदक्षिणापथ, अर्द्धवृत्ताकार पृष्ठभाग एवं ढोलाकार छतों का निर्माण किया गया है, किन्तु स्तूप के सम्मुख बुद्ध की मूर्ति स्थापित की गई है। महायान बिहारों में उपयोगिता वादी दृष्टिकोण से अनावश्यक स्तम्भों को समाप्त कर निवास गृह को भी एक मंदिर का स्वरूप प्रदान किया गया तथा इसमें भी मूर्ति का निर्माण किया गया। इस प्रकार शैलकृत वास्तुकला के विकास का मूलभूत कारण यही था कि इसका स्रोत और प्रेरणा धार्मिक मूल्यों से प्राप्त होता है बौद्ध धर्म की प्रेरणा
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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