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________________ बौद्ध परिक्षेत्र में शैलकृत वास्तु कला 101 बेड़सा का चैत्यगृह का भीतरी भाग 45 1/2 फीट लम्बा और 21 फीट चौड़ा है, यह एकदम सादा है जिसके खम्भों पर न ऊपर शीर्षक है और न नीचे अधिष्ठान है कहीं-कहीं बौद्धों के मांगलिक चिन्ह अवश्य उत्कीर्ण हैं। नासिक का चैत्यगृह अपेक्षाकृत कुछ बाद का है (लगभग प्रथम शताब्दी इस्वी के मध्य) इसका मुख्य मण्डप वास्तु विन्यास की श्रेष्ठता का बहुत अच्छा उदाहरण है, यह दो तलों में है, नीचे की मंजिल में गोलम्बर सहित द्वार है, और ऊपर महाकीर्ति मुख या सूर्यद्वार है, द्वारा के पार्श्व में एक महाकाय पक्षाकृति रक्षा पुरुष है, चैत्यगृह के भीतरी खम्भे पर एक लेख है, लेखों के अनुसार इस चैत्यघर का वास्तु विधान और शिल्प की मूर्तियां कई दान दाताओं की उदारता का फल है। यह चैत्यग्रह पाण्डुलेण के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें कहीं भी काष्ठकर्म का प्रयोग नहीं देखा जा सकता है। कार्ले का हीनयान चैत्य मंदिर अपनी श्रेणी के सब चैत्य ग्रहों में श्रेष्ठ है। इससे यह भी सूचित हो जाता है, कि पश्चिम भारत में वास्तु शिल्प का यह आन्दोलन कितनी ऊंचाई तक उठ चुका था, इस गुफा में वास्तु और शिल्प का अद्भुत समन्वय देखा जाता है जैसा अन्यत्र कहीं नहीं है। चैत्य गृह के मुखमण्डप में उत्कीर्ण लेख के अनुसार यह उस युग में भी जम्बूद्वीप का सर्वोत्तम चैत्यगृह समझा गया था। मुख्य चैत्य मण्डप 124 फीट लम्बा 46 1/2 फीट चौड़ा तथा 45 फीट ऊंचा है, इसमें किनारे-किनारे 37 स्तम्भ उत्कीर्ण है। स्तम्भों एवं भित्ति के मध्य 10 फीट चौड़ा प्रदक्षिणा पथ है। स्तम्भ कलात्मक दृष्टि से अत्यन्त ही उन्नत है, स्तम्भ का आकार चौकोर है, उसके ऊपर कुमभ है, जिसके निकलते हुए स्तम्भ अठ पहलू हैं। शीर्ष पर औंधा पद्यम्धत है, जिनमें पंखुड़ियां निकलती है। उसके ऊपर गज पर आरूढ़ दो दम्पति मूर्तियां हैं। चैत्यगृह के मुख मण्डल के समक्ष दोनों किनारे दो पृथक स्तम्भ निर्मित है, जो द्वारा रक्षक के रूप में प्रतीत होते हैं। पर्सीब्राउन ने किया है कि ऐसे स्तम्भ 3000 ई० पू० उर नामक स्थान में चन्द्रमंदिर के सामने, मिस्र देश के मंदिर के सामने और पेरूशलम में सोलोमन के मंदिर के सामने दो पीतल के स्तम्भ थे जिसका प्रभाव कार्ले के कीर्ति स्तम्भों पर पड़ा। परन्तु डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल' इसे औचित्यपूर्ण मानते हैं, इनके अनुसार इस प्रकार के स्तम्भों को
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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