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________________ 92 श्रमण-संस्कृति ब्राह्मण धर्म में वेद ईश्वरीय ज्ञान तथा शब्द प्रमाण रूप थे। इसके फलस्वरूप बौद्धिक क्षेत्र में पुरोहितों का एकाधिकार हो गया था। इस एकाधिकार ने स्वतंत्र एवं व्यक्तिगत बौद्धिक चिन्तन के विकास को लगभग प्रतिबन्धित कर दिया, किन्तु बुद्ध ने अपने शिष्यों को प्रधानता दी। बुद्ध ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि 'आल्मदीप बनो' मेरे वचनों और उपदेशों को आप्त वचन न मानकर उन्हें तर्क और विवेक की कसौटी पर भली प्रकार कसो। इससे उत्साहित होकर बौद्ध दार्शनिकों ने तत्व ज्ञान की विभिन्न समस्याओं पर स्वतंत्र चिन्तन किया। इसी लिए भारतीय दर्शन शास्त्र के क्षेत्र में बौद्ध दार्शनिकों की विचारधाराएं भारतीय तत्वज्ञान के उच्चतम् विकास की परिचायिका है। नागार्जुन, असंग, वसुबन्ध, धर्मकीर्ति आदि बौद्ध दार्शनिक भारत के ही नहीं अपितु समग्र विश्व के श्रेष्ठतम दार्शनिकों में परिगणित है। ___ बौद्ध धर्म ने इन सभी कलाओं को स्थायी आधार भी दिया और उन्हें अत्यधिक समृद्ध भी किया। बौद्ध भिक्षुओं के निवास के लिए देश भर में बड़े-बड़े विहार बने। बुद्ध के अवशेषों पर पाषाण के स्तूप बने । बुद्ध के वचनों और उपदेशों को खोद कर स्तम्भ खड़े किये गये। इन सबसे वास्तुकला की अत्यधिक उन्नति हुई। सांची, भरहुत, अमरावती के स्तूप आज भी भारतीय कला के अनुपम उदाहरण हैं। सांची स्तूप की सुन्दर परकोटा, भित्ति तथा चार कलापूर्ण द्वारा आज भी बेजोड़ हैं। बुद्ध की मूर्तियों में भारतीय मूर्तिकला का चरमोत्कर्ष परिलक्षित होता है। चित्रकारों ने बुद्ध के सम्पूर्ण जीवन तथा सम्पूर्ण घटनाओं को सुन्दर चित्रों में अंकित करके अमर कर दिया। अजन्ता, एलोरा, बाघ तथा बारबरा के गुहा चित्र विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। तथा भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है। इस प्रकार बौद्ध धर्म ने वास्तु, स्थापत्य, मूर्ति तथा चित्र इन विविध कलाओं को विशिष्ट रूप से गतिशील करके सर्वश्रेष्ठ सोपान तक पहुंचा दिया। बौद्ध धर्म ने ऊंच-नीच भाव के विनाश लोक भाषा के प्रयोग तथा आडम्बर मुक्ति के द्वारा भारत की सामाजिक एकता को सुदृढ़ किया उससे स्वतः ही उस युग में भारत की राजनैतिक एकता का मार्ग प्रशस्त हुआ तथा भारतीय राष्ट्रीय भावना का विकास हुआ।
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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