SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ M भारतीय संस्कृति पर बौद्ध परम्परा का प्रभाव बुद्ध से पूर्व भारतीय समाज में जाति प्रथा के कारण ऊंच-नीच का बहुत भेदभाव था। ब्रह्मण पूज्यतम थे और शूद्र अस्पृश्य एवं अधमतम। बौद्ध धर्म ने सब मनुष्यों में समानता का सिद्धान्त प्रचारित किया। समानता से दयाभाव एवं दया से सहिष्णुता का भाव स्वतः ही उत्पन्न होता है। बौद्ध धर्म में अनेक राजाओं को प्रेम, शान्ति, सहन, शीलता, दया तथा प्रजावत्सल्य का पाठ पढ़ाया, जिससे प्रजा बहुत सुखी हुई। अशोक, कनिष्क हर्षवर्धन आदि ऐसे प्रसिद्ध राजा हैं। बौद्ध धर्म के विचारों एवं नैतिकता की भावना ने हिन्दू धर्म के स्वरूप को बहुत प्रभावित किया। बौद्धों ने अहिंसा के सिद्धान्त को क्रियात्मक रूप से सफल कर दिया था। इस अहिंसा ने हिन्दू धर्म में भी पशु बलि को भी बहुत अधिक प्रभावित किया, यज्ञों में पहले से सदृश्य हिंसा नहीं रही। वस्तुतः परवर्ती भागवत (वैष्णव) धर्म का जन्म ही बौद्ध धर्म के अप्रत्यक्ष प्रभाव से हुआ। भागवत धर्म का अहिंसा परमो धर्म: बौद्ध धर्म की ही देन है। बौद्ध धर्म से पूर्व भारत में मूर्ति पूजा नहीं थी। समस्त धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ में ही सम्पन्न होते थे। मूर्ति पूजा का प्रारम्भ बौद्धों के द्वारा किया गया। बौद्ध धर्म की महायान शाखा ने बुद्ध एवं बोधिसत्व की सुन्दर अलंकृत प्रतिमाएं बनाई। उस पर मंदिरों का निर्माण किया तथा उनकी विविध प्रकार की पूजन विधि भी विकसित की। इसका प्रभाव अन्य धर्मों पर भी पड़ा, जिनमें भारत का ब्राह्मण धर्म भी था। इस प्रकार भारत में मूर्ति पूजा प्रारम्भ करने का श्रेय बौद्ध धर्म को है। ___ बौद्ध धर्म के उदय से पूर्व भारतीय संस्कृति में तपस्वी, ऋषि, मुनियों, परिव्राजकों, सन्यासियों आदि का तो उल्लेख है किन्तु सुव्यवस्थित संगठन बनाकर अपना धर्म प्रचार करने की प्रभा का कोई संकेत नहीं है। बौद्ध धर्म की संघ व्यवस्था ने भारतीय संस्कृति को एक नई देन दी। ये बौद्ध संघ प्रजातांत्रिक प्रणाली पर सुगठित अनुशासनशील समुदाय थे। जो अपने धर्म के प्रचार में तत्पर रहते थे। इन्हीं बौद्ध संघों से प्रभावित होकर अन्य धर्मों में भी मठ, राम द्वारे, सन्यासी, सम्प्रदायों के अखाड़े और महन्तों के समुदाय आदि विकसित हुए।
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy