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________________ महिलाओं के प्रति बुद्ध का दृष्टिकोण जब भी बुद्ध को अवसर प्राप्त होता था वे महिलाओं के अधिकारों और समानता के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करते रहते थे। उन्होंने एक अवसर पर पसेनदि को जो शब्द कहे थे उससे भी महिला समानता के सम्बन्ध में उनके विचार स्पष्ट हो जाते हैं। पसेनदि यह समाचार सुनकर अत्यन्त दुःखी हुआ था कि उसकी पत्नी ने पुत्री को जन्म दिया है। उसमें अपने मन की बात बुद्ध को बतायी। इस पर बुद्ध ने उसे समझाते हुए कहा था .. 'पुत्री, ज्ञानी और गुणी बनकर पुत्र से भी अच्छी संतान सिद्ध हो सकती है।' यह ज्ञात हो जाने पर कि महिलायें धार्मिक जीवन अपनाने की पूरी क्षमता रखती हैं, आरम्भिक बौद्ध धर्म ने उन्हें पूर्णतया समानता का दर्जा प्रदान किया था। बौद्ध धर्म में इस बात के भी उदाहरण मिलते हैं कि यद्यपि महाप्रजापति गौतमी को बौद्ध संघ में शामिल किया गया पर साथ ही साथ 8 प्रतिबंध भी आरोपित किया गया। यहाँ इस बात का भी उदाहरण मिलता है कि बाद में बुद्ध के प्रिय शिष्य आनंद के पास जाकर बुद्ध के प्रवरता से सम्बद्ध प्रथम गुरु धर्म पर ढील देने के लिए पूछते हुए दिखाया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि भिक्षुणियों ने अपने आपको आलोच्य अवधि में सफलतापूर्वक व्यवस्थित कर रखा था।4 उपरोक्त वक्तव्यों और प्रसंगों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बुद्ध स्त्री-पुरुष समानता के प्रबल समर्थकों में से एक थे। लेकिन उनके महापरिनिर्वाण के बाद बौद्ध धर्म में महिलाओं के प्रति पहले की तरह सम्मानपूर्ण भावना नहीं दिखाई देती है। महापरिनिर्वाणोत्तर काल के बौद्ध ग्रन्थों में महिलाओं को अपूर्ण दृष्टि, नीच, कपटी, विश्वासघातो, अविश्वासी, चरित्रहीन, कामुक, ईर्ष्यालु, लालचो, बेलगाम, मूर्ख और फिजूलखर्चीली जैसी उपाधियों से विभूषित किया गया। इसी प्रकार बौद्ध संघ में महिलाओं की उपस्थिति को भारी त्रासदी के रूप में चित्रित किया गया है। और इनकी तुलना डकैतों द्वारा लूटे गये घर, फफूंद (सेतट्ठिक) से ग्रस्त धान की फसल तथा लाल रोग (मांजेष्ठिका) से संक्रमित गन्ने की फसल से की गई। तापसिक नारी द्वेष, जो पालि ग्रन्थ त्रिपिटक के अंतिम तह में पाया जाता है, का भी स्त्रियों के प्रति दृष्टिकोण, शत्रुतापूर्ण, और नकारात्मक था। उसे मानव जाति के पतन तथा आध्यात्मिक प्राणी की मृत्यु के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार माना गया। आलोच्य अवधि
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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