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________________ उदा. प्रिय पूज्य नहीं, डुराग्रहवंत नरिंद ॥ मगसेलीयो जींजे नहीं, वरसे पुष्कर वृंद ॥ १ ॥ बीजो दिन श्राव्यो वली, पूढे तेम महीराय ॥ कथा एक कदेतो हतो, ते | मुज श्रावी दाय ॥ २ ॥ कोइक नगर कुंजार एक, खाण खणी मन खंत ॥ नाजन निपजावी जलां, वेची थयो धनवंत ॥ ३ ॥ जुवन कराव्युं अति जलुं पुत्र विवाहज कीध ॥ जाचक जन संतोषीया, नगर थयो प्रसिद्ध ॥ ४ ॥ माटी खणवा एक दिन, गयो खाप मोकार ॥ तड तुटी उपर पमी, गाथा कड़े कुंजार ॥ ५ ॥ गाया - जेण निखं बलिंदमि । जेण पोसेमीनाय ॥ ते मे पठिया जगा । जायं सरणं उत्जयं ॥ १ ॥ कथा कही नि घर गयो, समज्यो नहीं राजान ॥ श्रीजे दिन कथा कहे, ते सुणजो सावधान ॥ ६॥ ढाल चोथी. बंगालो राग. देश पांचाल कांपिलपुर सार, सुधरमा राजा सिरदार | सुखो वारता ॥ जैन धरम
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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