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________________ N one - IMIबेड निन्न । शोक करे ब्राह्मण घणा, थया खेदधी खिन्न ॥४॥राम राम सहु उचरे, सती शिरोमणि तेह ॥ मीगंबोली गोरमी, एहवी नहीं गुणगेह॥५॥ विष्णु विष्णु एक कहे, मोटो हुई श्रखत्र ॥ गुरुनक्ति विद्यारथी, जस्म थयो हिज पुत्र ॥६॥ शोक करे जन त्यां घणा, कीधां स्नान अपार ॥ ब्राह्मण सहु विचारतो, नफर मेलीए |सार ॥ ७॥ लेख लखीने ब्राह्मणे, नफर मूक्यो निरधार ॥ जूतमति श्रावो जलद, ढील म करो बगार ॥७॥ बली गयुं घर तम तणु, विद्यारथी वनिताय ॥ अगनिमां बलीयां बेहु, थयुं श्रघटतुं श्रांय ॥णा उन्ना नव रहेशो तिहां, पाणी पीवा काज ॥ दहन थयुं घर तुम तणुं, घणुं शुं लखीए राज ॥ १० ॥ ढाल आठमी. ढोलो ले मुख मारुरे, एहनी आंखमीए ऊलक्यो दारुरे,मारा धणुरेसवारे ढोला-एदेशी. | मथुरां पहोतो क्षिप्र, जिहां जूतमति ने विप्ररे । मारा परम सनेही सुणजोए टेक ॥ करी प्रणाम पत्र दीधो, नूतमतिए हाथे बीधोरे ॥मा॥१॥ शोक पाण्यो | लामन मांही, फुख दोहग उपन्यो त्याहिंरे मा० ॥ श्राव्यो कंठपुर शीघ्र, घर परजल्यो । दीगो विनय माण॥१॥ मूरबा यावी ततकास, विहां मलीयां बाल गोपालरे । माय
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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