SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 268
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मपरी० ॥ १३३ ॥ ढाल बीजी. कोया कामनी कहे चांदला, चांदा तुं बे परउपगारीरे - ए देशी. हस्ती नागपुर वर जलो, राजा सुजोधन तिहां रायरे ॥ मंत्री पुरुषोत्तम तेहने, राजा पुरोहित कापिल कहेवायरे ॥ १ ॥ जमदं नामे कोटवाल बे, राजा बेठा सजा मोकाररे ॥ दूत यावी एक एम कहे, राजा अरिदल श्राव्यं अपाररे ॥ २ ॥ नूतनुं वयण सुणी एशुं, राजा चकुटी चढावी जालरे || घाउँ निसाणे घमकीया, राजा कोप्यो रिपुनो कालरे ॥ ३ ॥ दय गय रथ पायक सजी, राजा राये प्रयाणज कीधरे ॥ राज नगरनी रक्षा करे, राजा जमदंमने जलामण दीधरे ॥ ४ ॥ लश्कर लेइ अरि उपरे, राजा बेहु दल फुके अपाररे ॥ दिवस घणा तिहां लागीया, राजा सांजलो वात विचाररे ॥ ५ ॥ जमदंडे जस उपराजीर्ज, राजा रुमी परे प्रजा राखेरे ॥ राजकुंवर लोक वश थया, राजा यमदंड वयण जे नाखेरे ॥ ६ ॥ श्ररि जीती नृप आवीउं, राजा सनमुख सहु लोक जायरे ॥ राजा पूढे कुशल सहु, राजा कहे यमदंग पसायरे ॥ ७ ॥ विलंब करी पूढे वली, राजा तुमने वे समाधिरे ॥ यमदंमना परसादथी, राजा कशी नयी समाधिरे ॥ ८ ॥ चिंतवे नूपति चित्तमें, राजा राज्य खंग ॥ १३३ ॥
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy