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________________ खम धर्मपरीलोचन खगपति जलो, रथनुपुर सेवे नर पाय ॥ तो ॥ १० ॥ चक्रवालपुर जई वी- टीयो, शतलोचने तेणी वार ॥ तो ॥ पूर्णमेघ रणवट करी, हणीयो शतलोचन मार ॥१३॥ ॥ तो ॥ ११ ॥ सहस्रलोचन तिहां श्रावीयो, पिता तणो सांजली मरण ॥ तो | विषम संग्राम ताम तव तेणे कर्या, पूर्णमेघ गयो जम शरण ॥ तो॥ १२ ॥ तेह तणो सुत मेघवाहन, सहस्रलोचन साथे संग्राम ॥ तो ॥ मेघवाहन नागे जाजीने, विमाने बेसी निज जाम ॥ तो० ॥ १३ ॥ सहस्रलोचन पुंठे थयो, समोसरण दीतुं म-19 नोहार ॥ तो ॥ मेघवाहने प्रवेश कर्यो, अजितनाथ वांद्या नवतार ॥ तो ॥ १४ ॥ पाउलथी शत्रु थावीयो, सहस्रलोचन वली काल ॥ तो ॥ मानस्थंन दीठे मानज गब्यु, शांत रूप थ वांद्या दयाल ॥ तो ॥ १५॥ वयर मूकी दोय जण मख्या, नर कोठे बेग ने जाम ॥ तो॥ पूर्व नवांतर जिनेश्वर कह्या, सांजली हरखीया ताम ॥ तो॥ १६ ॥ पांचमा खंग तणी जली, ढाल त्रीजी कही सुविशाल ॥ तो ॥ रंगविजयनो शिष्य एम जणे, नेमविजयने मंगल माल ॥ तो० ॥ १७ ॥ उदा. राक्षस इंजीम महाजीम, व्यंतर कोटी सुण तेह ॥ मेघवाहन नवांतर जा ॥१३॥
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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