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________________ खंग २ धर्मपरीनोगनुं दानरे ॥ सु०॥ याने तव उपनो रंग, वाहा करीने आप्युं अंगरे ॥ सु० ॥ ॥ काम क्रीमा कीधी ततकाल, जम आवतो दीगो विकरालरे ॥ सु०॥ बाया कहे तुं सांजल कंत, कृतांत करशे तुमारो अंतरे ॥ सु० ॥ ए ॥ जीवता जा तुमे हवे श्राज, नहीं तो बेहुने लागशे लाजरे ॥ सु० ॥ कान नाक बेदे तव माहारो, मारी करशे कोथलो ताहरोरे ॥ सु० ॥१॥ कशी संख्या न करो ए वात, नहीं तो आपणो होशे घातरे ॥ सु० ॥ आगे जीववधी यमराय, ते उपरे कीधो अन्यायरे ॥ सु० ॥ ११ ॥ विश्वानल कहे सांजल नार, हुं पग पांगलो बुं अपाररे ॥ सु० ॥ चरण होय तो दो श्राज, यम बागलथी करुं हुं काजरे ॥ सु० ॥ १२ ॥ यम जय पामी बाया बाल, अगनि देव गढ्यो ततकालरे ॥ सु॥ धर्मराज याव्यो तेणी वार, जपाडी गली बाया नाररे ॥ सु० ॥ १३ ॥ घर श्रावीने उबके जेह, जोग करीने वली गले तेहरे ॥ सु० ॥ स्नान करवा जम गंगा जाय, पोहोर एक तप जपने थायरे ॥ सु०॥ ॥ १४ ॥ बाया तव उबके बे आग, पोहोर एक आवे तसु नागरे॥सु॥यम देखीने गले बाग बाया, नारीने लागी एम मायारे ॥ सु०॥ १५॥ एणी परे कामिनी जोगवे बेह, अपर वात सांजलजो तेहरे ॥ सु०॥ दिवस मास बहु जाये एह, अगनि ॥५॥
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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