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________________ 6* जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन उत्साहवर्धन व सतत् सहयोग के प्रति आभार अभिव्यक्ति करने के लिए शब्द अक्षम है। इस श्रम साध्य पुस्तक में समुचित सहयोग के लिए मैं मेरे पति श्रीमान् नरेन्द्रजी डागा, ससुरजी श्रीमान् मगनलालजी डागा (एडवोकेट), सासुजी श्रीमती कमलादेवीजी, पिताजी श्रीमान् केवलचन्दजी जैन, माताजी श्रीमती मनोहरदेवीजी, भ्राता श्रीमान् हेमन्तकुमारजी जैन (डी.जे.), श्रीमान् महेन्द्रजी पारख (आर.ए.एस.), भाभीजी डॉ. श्रीमती नन्दिता जैन तथा श्रीमती मधु पारख एवं परिजन श्री देवेन्द्र जी हिंगर, श्रीमती मधु हिंगर, श्री दिनेश जी जैन, श्रीमती नीरा जैन, श्री रविन्द्रजी डागा, श्रीमती रेखा डागा, अनुराग डागा, हिमांशु डागा व चेलसी डागा आदि सभी परिजनों ने मुझे सदैव मेरा कार्य करने के लिए वात्सल्यपूर्ण प्रोत्साहन व योगदान दिया है, वह मेरे लिए अविस्मरणीय एवं अतुलनीय है। अतः मैं सभी आदरणीय परिजनों के लिए श्रद्धापूर्ण नमन करते हुए, आत्मिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। ___ मैं उन सभी महानुभावों को जिन्होंने किसी न किसी रूप में मेरा मार्गदर्शन किया है, उन सभी की आभारी हूँ। मैं उन जाने-अनजाने विद्वानों, व्यक्तियों का आभार व्यक्त करना अपना कर्तव्य समझती हूँ, जिनकी कृतियाँ, सुझाव व निर्देशन मेरे इस पुस्तक में उपयोगी रहे है। प्रस्तुत पुस्तक में विषय, भाव व भाषा का समन्वय रखने का यथेष्ट प्रयास किया गया है, तथापि यदि कहीं मानवोचित या कम्प्यूटर जनित त्रुटियाँ रह गयी हो तो उनके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ और अपेक्षा करती हूँ, कि सुधि पाठक उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में समझेंगे। डॉ. मीनाक्षी जैन (डागा)
SR No.022845
Book TitleJain Sanskruti Ka Itihas Evam Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMinakshi Daga
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2014
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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