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________________ तत्त्व मीमांसा* 413 में उपर्युक्त जनपदों का उल्लेख आया है। गाँवों के समुदाय को जनपद कहा है। जनपदों को एक-दूसरे से पृथक् करने वाली नदी, पर्वतों की प्राकृतिक सीमाएँ थीं। बौद्ध साहित्य में अंग, मगध, काशी, कौशल, वज्ज, मल्ल, चेति, वत्स, कुरु, पांचाल, मत्स्य, सूरसेन, अश्मक, अवन्ती, गन्धार, और कम्बोज इन सोलह जनपदों के नाम मिलते हैं। वृहत्कल्पसूत्र भाष्य में मगध, अंग, वंग, कलिंग, काशी, कोशल, कुरु, कुशार्त, पाँचाल, जंगल, सौराष्ट्र, विदेह, वत्स, शाडिल्य, मलय, मत्स्य, वरणा, दशार्ण, चेदि, सिन्धुसौवीर, शूरसेन, भंगि, वट्टा, कुणाल, लाढ़ और कैकय अर्ध इन साढे पचीस आर्य देशों का उल्लेख मिलता है। इस प्रकार जैन दर्शन ने इस सृष्टि के मौलिक तत्त्वों के विवेचन के साथ-साथ इस जगत की भौगोलिक संरचना का भी संपूर्ण विवेचन किया है। संदर्भ सची 1. वेदान्त सार- श्रो. 1 2. वही - अन्तिम भोक 3. सांख्यकारिका- महर्षि कपिल - थोक 1 4. वही -महर्षि कपिल- अन्तिम शोक 5. सूत्र कृतांग - सुधर्मा स्वामी - अ. 6/ गा. 1 6. तत्वार्थ सूत्र-- हेमचन्द्रसूरि - 1/6 7. ऋग्वेद - 1/164/4 8. वही- 1/164/37 9. वही- 1/164/46 10. उत्पाद-व्यय ध्रौव्य युक्तं सत् -तत्वार्थ सूत्र- हेमचन्द्र - 5/30 11. पंचास्तिकाय संग्रह - कुन्दकुन्दाचार्य- गा. 10 12. प्रवचन सार - कुन्दकुदाचार्य- गा. 5 13. माउयाणुयोगे, उपन्नेवा, विगये वा धुवेवा। -स्थानांग, स्था. 10 14. उत्तराध्ययन सूत्र- सुधर्मास्वामी- अ. 28 गा. 6 15. जीवदव्वाय, अजीव दव्वाय। - अनुयोगद्वार- सू. 141 16. समयसार- कुन्दकुन्दाचार्य- गा. 372 . 17. तत्वार्थ सूत्र- उमास्वाती- 5/42 18. पंचास्तिकाय संग्रह- कुन्दकुन्दाचार्य- गा. 8 19. वही- गा. 4 20. उत्तराध्ययनसूत्र- सुधर्मास्वामी - अ. 28 सू. 11 21. भगवती सूत्र- 2/10 22. उत्तराध्ययनसूत्र- सुधर्मास्वामी- 14/19 23. आचारांग सूत्र-5/6/176
SR No.022845
Book TitleJain Sanskruti Ka Itihas Evam Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMinakshi Daga
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2014
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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