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________________ 200 जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन (iv) अम्लरस नाम (v) मधुररस नाम । 12. स्पर्श नाम : इस कर्म के उदय से शरीर के स्पर्श पर प्रभाव पड़ता है। इसके आठ भेद हैं- (i) कर्कश स्पर्श नाम (ii) मृदु स्पर्श नाम (iii) गुरु स्पर्श नाम (iv) लघु स्पर्श नाम (v) स्निग्ध स्पर्श नाम (vi) रूक्ष स्पर्श नाम (vii) शीत स्पर्श नाम (viii) उष्ण स्पर्श नाम । 13. अगुरु लघुनाम : जिसके उदय से शरीर अत्यन्त गुरु या अत्यन्त लघु परिणाम को न पाकर अगुरुलघु रूप में परिणत होता है । 14. उपघात नाम : इस कर्म के उदय से जीव विकृत बने हुए अपने अवयवों सेक्लेश पाता है । जैसे प्रति जिह्वा, चोरदन्त, रसौली आदि । 15. पराघात नाम : इस कर्म के उदय से जीव अपने दर्शन और वाणी से ही प्रतिपक्षी और प्रतिवादी को पराजित कर देता है । 16. अनुपूर्वी नाम : जन्मान्तर में जाते हुए जीव को आकाश प्रवेश की श्रेणी के अनुसार नियत स्थान तक गमन कराने वाला कर्म । इसके भी चार भेद हैं- (i) नरक अनुपूर्वी नाम (ii) तिर्यंच अनुपूर्वी नाम (iii) मनुष्य अनुपूर्वी नाम (iv) देव अनुपूर्वी नाम । 17. उच्छवास नाम: इसके उदय से जीव श्वासोच्छवास ग्रहण करता है । 18. आतप नाम : इस कर्म के उदय से अनुष्ण शरीर में से उष्ण प्रकाश निकलता है। इसका उदय सूर्यमण्डल के एकेन्द्रिय जीवों में होता है । उनका शरीर शीत होता है, लेकिन प्रकाश उष्ण होता है। 19. उद्योत नाम : इसके उदय से शरीर शीतप्रकाश मय होता है । देव के उत्तर वैक्रिय शरीर में से, लब्धिधारी मुनि के वैक्रिय शरीर से तथा चाँद, नक्षत्र, तारागणों में से निकलने वाला शीत प्रकाश । 20. विहायोगति नाम: इसके उदय से प्रशस्त और अप्रशस्त गति होती है । इसके दो भेद हैं (i) प्रशस्त विहायोगति नाम, (ii) अप्रशस्त विहायोगति नाम । यहाँ गति का अर्थ चलना हैं । 1 21. त्रस नाम जिस कर्म के उदय से गमन करने की शक्ति प्राप्त हो । : -- 22. स्थावर नाम : जिस कर्म के उदय से इच्छापूर्वक गति न होकर स्थिरता प्राप्त होती है। 23. सूक्ष्म नाम : जिस कर्म के उदय से जीव को चर्म चक्षुओं से अगोचर सूक्ष्म शरीर प्राप्त हो । 24. बादर नाम : जिस कर्म के उदय से जीव को चर्म चक्षु गोचर स्थूल शरीर प्राप्त हो । 25. पर्याप्त नाम : जिस कर्म के उदय से जीव स्वयोग्य प्राप्तियाँ पूर्ण करे ।
SR No.022845
Book TitleJain Sanskruti Ka Itihas Evam Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMinakshi Daga
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2014
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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