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________________ 126 * जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन मथुरा का कंकाली टीला: 2200 वर्षों की तीर्थंकरों की प्राचीन मूत्तियाँ PONVR AARATRE ऊपर का आयागपट्ट मथुरा के कंकालीटीला के खुदाई का काम करते समय भूमि से प्राप्त हुआ है। इसके लिये भारतीय विद्वान् पुरातत्वज्ञ श्रीमान् राखलदास वेनर्जी का मत है कि 'साधारण रीते चार मत्स्य पूच्छना केन्द्र स्थले एक गोलाकार स्थानने विषय एक बेठी जैन मूर्ति होय छे वि.सं. ना प्रारम्भ पूर्व बे सौ वर्ष उपर सिंहक वणिकना पुत्र अने कौसिकी गौत्रीय मात्ताना संतान सिंहनादि के मथुरा मां जे आयागपट्टनी प्रतिष्ठा करीहती तेगां उपरोक्त विवस्था जोवामा आवे छै' क्या मूर्ति पूजा की प्राचीनता में अभी भी किसी को शंका है ? नहीं।
SR No.022845
Book TitleJain Sanskruti Ka Itihas Evam Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMinakshi Daga
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2014
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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