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________________ [ ४० ] १० तपः पर्याय शरीर सहकारि भूतमन्न पान संयम शौच ज्ञानोपकरण तृण मय प्रावरणादिकं किमपि गृह्णन्ति तथापि ममत्वं न करोति । अन्नोपकरण, पानोपकरण, संयमोपकरण, शौचोपकरण शानोपकरण और तृणज वस्त्र वगैरह दिगम्बर मुनि के उपकरण है। वे इनमें ममता न करें। (ब्रह्म देव कृत परमारम प्रकाश गा० २१६ को टीका पृष्ट २१२ ) भरहे दुसम समये सद्य कर्म मोल्लिऊण जो मूढो । परिवठ्ठह दिगविरो, सो समणो संघ बाहिरओ ॥१॥ पासत्थाणं सेवी, पासत्थो पंचचेल परिहीणो । विवरीयठपवादी, अबंदणिज्जो जइ होई ॥ (दि० भद्रवाहु संहिता खं० ३ ० ७ गा० ) ११ कोऽपवाद वेशः ? कलौ किल म्लेच्छादयो नग्नं दृष्टवा उपद्रवं यतीनां कुर्वन्ति, लेन मण्डपदुर्ग श्री वसन्त कीर्ति स्वामिना चर्चादि वेलायां तट्टी सादरा दिकेन शरीर माच्छाद्य चर्यादिकं कृत्वा पुनस्तन्मुंचति, इत्युपदेशःकृतः संयमिना मित्यपंवादवेषः। . . तथा नृपादि वर्गोत्पन्न परम वैराग्यवान् लिंग शुद्धि रहितः उत्पन्न मेहनपुट दोष लज्जावान् वा शीताद्यसहिष्णुर्वा तथा करोति सोप्यपवादलिंगः प्रोच्यते । ... (भा• कुन्द कुन्द कृत दर्शन प्राभत गा० २४ की उभय भाषा चक्रवर्ति दि० कलिकाल सर्वज्ञ आ. श्रुतसागर कृत टीका पृ० २।। पं० परमेष्टोदास कृत चर्चा सागर समीक्षा प्रस्तावना।) ...१२-"णिक्नेवो" यत् किंचित् वस्तु पुस्तक कमण्डलु मुख्य क्यचिनिक्षिप्यते मुच्यते धियते तान्नक्षेप स्थानं दृष्ट्वा तशवै.
SR No.022844
Book TitleShwetambar Digambar Part 01 And 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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