________________
( ५ )
साहित्य पर आधारित होने के कारण जैन - साहित्य में वर्णित आर्थिकजीवन का एक सीमित अध्ययन ही प्रस्तुत करती हैं किन्तु यह ग्रन्थ आगमों के साथ ही आगमिक व्याख्याओं विशेषतः भाष्यों और चूर्णियों तथा जैन कथा -ग्रन्थों पर भी आधारित है ।
मैंने जिस साहित्य का उपयोग किया है उसके कालक्रम को समझ लेना इसलिये आवश्यक है कि इससे इस बात का संकेत मिल सके कि उपलब्ध सूचनायें किस काल और प्रदेश से सम्बन्धित हैं । जैन आगम साहित्य ईसा पूर्व तीसरी शताब्दीसे ईसा की पाँचवीं शताब्दी तक अपना स्वरूप लेता रहा है । अतः उनमें विभिन्न कालों की सामग्री इस प्रकार मिश्रित हो गई है कि कभी-कभी यह निर्णय कर पाना कठिन हो जाता है कि आगम ग्रन्थों में आर्थिक जीवन से सम्बन्धित कतिपय सूचनायें किस काल की हैं । यद्यपि आगम ग्रन्थों और नियुक्तियों का काल तो बहुत कुछ अनिश्चित है । उनमें कालिक दृष्टि से कई स्तर हैं, किन्तु भाष्यों और चूर्णयों का काल ई० सन् की छठीं सातवीं शताब्दी निश्चित ही है । पुनः इन भाष्य और चूर्णियों में उपलब्ध सामग्री भी हमें दो रूपों में मिलती है - प्रथम आगम ग्रन्थों पर लिखी गई व्याख्याएँ हैं उनमें आगमों में उल्लिखित तथ्य तो आये ही हैं साथ ही व्याख्या ग्रन्थ होने से वे सारे तथ्य भी उनमें समाहित कर लिए गये हैं जो उनके रचना काल के हैं । इस समस्या को लेकर ऐतिहासिक दृष्टि से कहीं-कहीं भ्रान्तियाँ उत्पन्न न हों इसलिये मेरी अपेक्षा है कि इस शोध-प्रबन्ध में उपलब्ध सूचनाओं के काल को समझने के लिये उस सूचना को देने वाले ग्रंथ की कालावधि को ध्यान में रखना होगा । इसी प्रकार उस सामग्री के क्षेत्र को समझने के लिये इन ग्रंथों के निर्माण क्षेत्र पर भी विचार कर लेना होगा । श्वेताम्बर परंपरा का विपुल प्राकृत साहित्य जो कि आगमों, नियुक्तियों, भाष्यों और चूर्णियों के रूप में सुरक्षित है और जिसका प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध में प्रचुर मात्रा में उपयोग किया गया है वह मुख्यतः उत्तरी एवं उत्तरपश्चिमी भारत से ही सम्बन्धित है उनमें दक्षिण भारत से सम्बन्धित घटनाओं का उल्लेख तो है, किन्तु अल्प मात्रा में है । यद्यपि दिगम्बर परंपरा के कुछ पुराण ग्रंथ अवश्य ऐसे हैं जिनका रचना क्षेत्र दक्षिण भारत ही रहा । यद्यपि इन स्रोतों का उपयोग प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध में कम ही हुआ है । अतः क्षेत्र की दृष्टि से इस ग्रंथ में वर्णित विषय सामग्री का सम्बन्ध उत्तरी भारत से ही अधिक है ।