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________________ पुरोवाक निवृत्ति मार्गी होने के कारण जैन परम्परा तप, त्याग, संयम आदि के आध्यात्मिक जीवन-मूल्यों पर ही अधिक बल देती है । यही कारण है कि इसके साहित्य में तप, त्याग, सदाचार जैसे विषयों की ही विस्तृत चर्चा है | परन्तु मेरे मन में सदैव यह विचार आता रहा कि प्राचीनकाल से ही जैन परम्परा को मानने वाला गृहस्थवर्ग भी सदा रहा है, जिसमें सभी वर्ग और वर्ण के लोग थे फिर उसके साहित्य में आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक पक्षों की नितान्त अवहेलना कैसे हो सकती है, अवश्य कुछ ऐसा है जिसे हम खोज नहीं पा रहे हैं । जब डॉ० मोतीचन्द्र की पुस्तक " सार्थवाह" देखी तो लगा कि कुछ प्राचीन जैन ग्रन्थ ऐसे अवश्य हैं, जो मानव-जीवन के आर्थिक पक्षों को उजागर करते हैं । ये ग्रन्थ अधिकतर प्राकृत भाषा में निबद्ध हैं, जिससे जनसाधारण ही नहीं अपितु विद्वद्वर्ग भी अपरिचित है । ये सामान्यतया सभी पुस्तकालयों में उपलब्ध भी नहीं हैं । इसलिए मेरी यह प्रबल इच्छा थी कि इन मूल स्रोतों के आधार पर कोई ऐसा शोध कार्य करना चाहिए जो तत्कालीन आर्थिक जीवन का परिचय दे सके । मेरी इस इच्छा को साकार रूप प्रो० सागरमल जैन ने दिया । जिन्होंने न केवल मुझे कार्य करने की प्रेरणा दी अपितु मेरा मार्ग-दर्शन करते हुए मुझे प्रोत्साहित भी करते रहे । प्रस्तुत ग्रन्थ में मैंने प्राचीन जैन साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन को प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है । इस विषय पर अभी तक अधिक शोध पूर्ण साहित्य प्रकाशित नहीं हुआ है । डॉ० जगदीश चन्द्र ने अपनी पुस्तक 'आगम साहित्य में भारतीय समाज' में तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक परिस्थितियों का वर्णन अवश्य किया है किन्तु उन्होंने उसमें वर्णित आर्थिक जीवन का मात्र एक अध्याय में संक्षिप्त परिचय ही दिया है । इसके अतिरिक्त डॉ० दिनेन्द्रचन्द्र जैन की पुस्तक 'Economic life in India as depicted in Jain Canonical literature' भी है । ये दोनों इस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं कि उन्होंने आगम साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन का अध्ययन प्रस्तुत किया किन्तु डॉ० जगदीशचन्द्र जैन और डॉ० दिनेन्द्र जैन दोनों की ही पुस्तकें मात्र आगम
SR No.022843
Book TitlePrachin Jain Sahitya Me Arthik Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamal Jain
PublisherParshwanath Vidyashram Shodh Samsthan
Publication Year1988
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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